मिट्टी के बर्तनों में बने खाना खाने से कई बीमारियों से बचा जा सकता है : डॉ. सुनील
नर्मदापुरम। लोगों को मिट्टी के बने बर्तन खूब लुभा रहे हैं। गुजरात की मिट्टी के बने मटके और किचिन के मिट्टी के बर्तन नर्मदापुरम तक पहुंच चुके हैं। यह मिट्टी के बर्तनों को लोगों का आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। लोग इन बर्तनों को खासा पसंद कर रहे हैं। लोग इसके गुणकारी फायदों के अनुसार खरीद रहे हैं। गर्मी का मौसम आने से दो माह पहले गुजरात नरसिंगपुर पिपरिया सोहागपुर से प्रजापति समाज के लोग मिट्टी के बर्तनों खरीदी कर लेते हैं। के बने कूकर, फ्रिज, कढ़ाई, केटली, थाली सेट, ठंडे-गर्म पानी की बोतल के रूप में खरीद रहे हैं। गब्बर कुमार मालवीय ने बताया कि मिट्टी के इन बर्तनों में खाना पकाने से खुशबू और स्वाद दोनों बढ़ जाता है। इसके साथ ही यह सेहत के लिए भी हानिकारक नहीं है। मिट्टी जल्दी गर्म हो जाती है जिससे खाना जल्दी पकता है और पचता भी है। मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से ईंधन भी कम खर्च होता है। उन्होंने बताया है कि लोगों का काफी रुझान देखने को मिल रहा है। राखी मालवीय ने बताया की एसएनजी के पास फरवरी से दुकान लगाते हैं जून तक हमारी दुकान लगती हैं हम मटको की खरीदारी शाहपुर से लाल मटके डिजाइन वाले मटके लेकर आते हैं और गुजरात से रंगीन मटके लेकर आते हैं पानी की बोतल वगैरा और कोलकाता की गिलास कटोरी सोहागपुर की सुराई यह सभी आइटम हम फरवरी से लेकर जून तक खरीद के लाते हैं और बेचते हैं। आपको हमारे यहां गंजी मिल जाएगी खाना बनाने किचिन के सारे मिट्टी के बर्तन मिल जाएंगे गुजरात छिंदवाड़ा बरघाट की काली मिट्टी के बर्तन मटका मिल जाएगे। इस बार मिट्टी के बर्तन के दामों में तेजी है इसलिए मिट्टी के बर्तनों 100 रुपए वाले बर्तन के दाम 200 रुपए और 300 रुपए वाले बर्तन के दम 400 रुपए है। फ्रिज के पानी में लोगों की प्यास नहीं बुझती हैं मटके के पानी से प्यास बुझ जाती हैं। अनिल प्रजापति ने बताया कि सामान के साथ घरेलू उत्पाद भी लोगों को अपनी ओर लुभा रहे हैं। मटके शाहपुर के लाल मटके खातेगांव के काले रंगीली वाले गुजरात के हैं के मटके आ रहे सब्जी बनाने के लिए दाल चावल गंजी कढ़ाई बोतल है मिट्टी की पानी पीने के लिए बॉटल है अभी तो गर्मी इतनी ज्यादा तेज नहीं है अभी बिक्री कुछ भी चालू नहीं हुई है अभी 5% प्रतिशत चालू हुई है और इस बार मॉल में भी बढ़ोतरी बहुत ज्यादा हुई है रेट में क्योंकि इस बार रेट बहुत तेज है और अभी ग्राहकी भी अभी अभी चालू नहीं हुई है। हमारा नागपुर से फैंसी मटका खाना बनाने की सबसे ज्यादा गुजरात का आइटम आता है शाहपुर से लेकर आते हैं सोहागपुर से सुराही लेकर आते हैं कुलक गुल्ल जैसे छोटा आइटम भी रहता है बाकी और भी बहुत सारी दुकानें लगी है। जिला अस्पताल के डॉ. सुनील जैन ने बताया कि वैसे तो हम दुष्ट खाने से कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं अगर हम पुरानी प्रथा में जाए तो कुछ बीमारियों से बचा जा सकता है पहले स्टील लोहा या अन्य बर्तन का उपयोग नहीं किया जाता था राजा महाराजाओं के समय भी मिट्टी से बने बर्तनों में ही खाना पका कर खाया जाता था हमारी दिनचर्या से लोहे के वह स्टील के बर्तन आने से मिट्टी के बर्तन का उपयोग काम होते गया हमें अगर बीमारियों से बचाना है तो मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करना जरूरी है
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