700 से अधिक ट्रैक्टर- ट्राली से सडक़ जाम,28 हजार क्विंटल की अनुमानित आवक

भैरूंदा। 9 से 17 नवम्बर के बीच 14 व 16 नवम्बर को ही मंडी में नीलामी कार्य सम्पन्न हो सका। लगातार 7 दिनों तक मंडी बंद रहने से किसान परेशान था। सोमवार को मंडी खुलने से एक दिन पूर्व ही किसानों द्वारा अपनी उपज लेकर मंडी पहुंचे। लेकिन मंडी में स्थानाभाव की समस्या, उपज की अधिक आवक व सडक़ पर लगते जाम के हालातों से निपटने के लिए मंडी व स्थानीय प्रशासन द्वारा उपज की नीलामी मंडी प्रागंण में ना कराते हुए नगर के इंदौर रोड स्थित मोती बिहार कालोनी में कराई गई। सोमवार को मंडी खुलने के एक दिन पूर्व रविवार को ही सैकड़ो किसानों द्वारा अपनी उपज लेकर मोती बिहार कालोनी में खुले आसमान के नीचे लगा ली। सुबह साढ़े 10 बजे नीलामी की प्रक्रिया शुरु हुई जो देर रात तक अनवरत् जारी रही। अनुमानित 28 हजार क्विंटल से भी अधिक मक्का व सोयाबीन की उपज लेकर 700 किसान मंडी पहुंचे। रविवार से ही मोती बिहार कालोनी में ट्रैक्टर-ट्रालियों की लाईन लगना शुरु हो गई। सोमवार दोपहर तक संपूर्ण कालोनी का प्रागंण ट्रालियों से खचाखच भरा चुका था। मंडी समिति कर्मचारियों व व्यापारियों को इतनी अधिक आवक की नीलामी कराने में पसीने छूट गए। आवक अधिक होने से मंडी में भी पैर रखने की जगह नहीं मिली। जैसे-जैसे उपज की नीलामी होती जा रही थी, वैसे-वैसे उन्हें मंडी में तौल के लिए रवाना किया जा रहा था। जिससे पूरे दिन सडक पर ट्रालियों की कतारें लगने से जाम के हालात भी बने रहे। उल्लेखनीय हैं कि इस समय रबी सीजन की शुरुआत हो चुकी हैं,और किसानों को रबी की बुआई के लिए खेतों को तैयार करने व अन्य आवश्यक काम निपटाने के लिए पैसों की आवश्यकता हैं। लेकिन त्यौहारी अवकाश व विधानसभा उप निर्वाचन के कारण मंडी में बीते 7 दिनों से अवकाश होने से किसानों की उपज की नीलामी नहीं हो पा रही थी। लंबे समय के बाद सोमवार को मंडी खुली, इस बीच मंडी में 700 से अधिक किसान मक्का व सोयाबीन की उपज लेकर मंडी पहुंचे। पिछले कई सालों से मंडी में स्थानाभाव की समस्या बनी हुई हैं, जिससे मंडी के शेड भराने के बाद शेष ट्रालियां मुख्य सडक पर ही खड़ी रहती हैं,जिससे जाम के हालात निर्मित होते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए प्रशासन द्वारा सोमवार को मंडी पहुंची 28 हजार क्विंटल से अधिक उपज की नीलामी मंडी प्रागंण में ना कराते हुए इंदौर रोड स्थित 15 एकड़ में विकसित की जा रही मोती बिहार कालोनी में कराई। जिससे मंडी में निर्मित होने वाली समस्या से निजात मिल सकी। लेकिन जाम के हालात पूरे दिन नगर में बनते रहे।
खुले आसमान के नीचे रातभर करना पड़ा जागरण
मंडी में पिछले कई वर्षो से स्थानाभाव की समस्या बनी हुई हैं। जिसका खामियाजा किसानों के साथ-साथ मंडी प्रशासन को भी भुगतना पड़ रहा हैं। सोमवार को उपज अधिक की आवक की संभावनाओं के चलतें उपज की नीलामी मंडी में ना कराते हुए नगर की मोती बिहार कालोनी में कराई गई। यहां खुले आसमान के नीचे रविवार से ही ट्रैक्टर-ट्रालियों की लाईन लगना शुरु हो गई थी। किसानों को इस दौरान अंधेरे में कई तरह की यातनाएं भुगतना पड़ा। खासकर श्यामूगांव से मक्का की उपज लेकर आए किसान धन सिंह बंकोरिया की ट्राली तो गड्डे में पहिया जाने से पलट गई, जिससे कि ट्राली में खुले में रखी सारी उपज मिट्टी में जा मिली। इस दौरान अन्य किसानों द्वारा धन सिंह की मदद करते हुए ट्राली को सीधा कर उसकी मदद की गई। लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कोई भी सुविधा किसान को उपलब्घ नहीं कराई गई।
न पानी की व्यवस्था, न शौचालय
चींच के किसान जयपाल सिंह व राजेश कुमार ने बताया कि वह रविवार को ही अपनी उपज लेकर मोती बिहार कालोनी में पहुंच गए थे। उन्होंने बताया कि यदि रविवार को नहीं आते तो हमारी उपज की नीलामी के लिए हमें दो दिनों तक इंतजार करना पड़ता। किसानों ने बताया कि मंडी में तो किसानों के लिए सारी व्यवस्थाएं हैं, लेकिन मोती बिहार कालोनी में तो खुले आसमान के बीच रात्री जागरण करना पड़ा। यहां न तो शुद्ध पेयजल की व्यवस्था हैं और न ही शौचालय की। ऊपर से संपूर्ण कालोनी में अंधेरा पसरा रहा। जैसे-तैसे हमने इस सर्दी के मौसम में रात निकाली हैं।
दिनभर सडक पर रेंगते रहे वाहन, मंडी में भी नहीं पैर रखने की जगह
मोती बिहार कालोनी में जैसे-जैसे उपज की नीलामी होती जा रही थी, वैसे-वैसे टै्क्टरों को एक लाईन से छोड़ा जा रहा था। कुछ समय तक तो व्यवस्था अच्छी चलती रही। लेकिन किसानों की जल्दबाजी से सडक पर देखते ही देखते जाम के हालात निर्मित हो गए। जिससे पूरे दिन मुख्य हाईवे पर वाहन रेंगते दिखाई दिये। स्कूली बसों के अतिरिक्त एंबुलेंस, माल वाहक वाहन, लोडिंग ऑटो व विभिन्न रूटों पर चलने वाली यात्री बसों को खासा परेशानियों से जुझना पड़ा। समस्या उस समय अधिक बड़ गई जब मंडी मुख्य गेट पर ट्रक का बेरिंग टूट गया, जिससे मंडी में वाहनों के पहुंचने पर ब्रेक लग गया। इससे ट्रालियों का लंबा जाम सडक पर लग गया।
पारदीपुरा में स्वीकृत 33 करोड़ की मंडी, लेकिन प्रशासन नहीं हटा पा रहा अतिक्रमण
आपको बता दें कि कृषि उपज मंडी में लगातार स्थानाभाव की समस्या का समाधान करते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा पारदीपुरा स्थित 30 एकड़ शासकीय भूमि पर नवीन मंडी बनाने के लिए 33 करोड़ से अधिक की राशि पांच वर्ष पूर्व स्वीकृत कर चुके हैं। लेकिन उक्त स्थान पर पारदियों सहित अन्य दंबंग किसानों का कब्जा होने से यहां नवीन मंडी का काम शुरु नहीं हो पा रहा हैं, जिसका खामियाजा क्षेत्रीय किसानों के साथ-साथ मंडी प्रबंधन व आम नागरिकों को भुगतना पड़ रहा हैं। निर्माण एजेंसी द्वारा उक्त स्थल पर काम करने के लिए मशीनें भेजी तो यहां पारदियों द्वारा मशीनों पर पत्थर फेंक एजेंसी के कर्मचारियों पर हमला बोल दिया।
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