-१३ वर्षों से कोमारी पूजन की चली आ रही परम्परा
-नवरात्रि में कन्याओं को कराया जाता है राजभोग, १५१ दीपोंं से होता है दिपदान
अनोखा तीर, हरदा। शहर मध्य स्थित मां कामाख्या के दरबार में रोजाना सैकड़ों भक्त दर्शन करने पहुंचते है। भक्तों को मानना है माता मंदिर में उनको शुकुल मिलता है। १३ वर्ष पुराने इस मंदिर में भक्तों की विशेष आस्था है। यहां विगत १३ वर्षों से लगातार कोमारी पूजन होता आ रहा है। जिसमें देवी रूपी कन्या की विशेष पूजन की जाती है। रोजाना ५१ दीपों से दीपदान की किया जाता है। नवरात्रि में विशेष १५१ दीपों का दीपदान प्रतिदिन होता है। मंदिर परिषर में कन्याओं को राजभोग कराया जाता है। जिसमें अन्न का उपयोग नहीं होता, बल्कि १० प्रकार के फल और मिठाईयां परोसी जाती है। मंदिर में आने वाली सभी कन्याओं का विशेष पूजन किया जाता है जिसमें सबसे पहले उनके पैर धुलाए जाते है, चुनरी ओढाई जाती है। दिन के अनुसार देवी रूप में कन्या का विशेष श्रृंगार किया जाता है। यह अनूठी परम्परा केवल कामाख्या माता मंदिर में ही की जाती है। यहां रोजाना अलग-अलग यजमान पूजन कराते है। यहां कन्याओं को राजभोग के लिए आमंत्रण देने की आवश्यकता नहीं होती है। यजमान से विशेष पूजन के दौरान दसो दिशाओं से माता के समक्ष शक्ति रूप में आने का आव्हान किया जाता है। जिसके बाद मंदिर में कन्याओं का आना आरंभ हो जाता है। ९ वर्षों से मंदिर में पूजन करने वाले पुजारी पं राधिका प्रसाद जोशी बतातो है कि १३ साल पूर्व यहं मंदिर अन्य स्थान पर था। जहां जहां बिल्डिंग बनने के दौरान उपस्थित पुलिस अधिकारी द्वारा माता जी मूर्ति को एसडीओपी कार्यालय परिसर में मंदिर का निर्णाण कराकर विराजीत कराया गया था। यहां मांगी गई हर मनोकामनां पूर्ण होती है। नवरात्रि में कन्याओं का विशेष पूजन किया जाता है जो अन्य किसी मंदिर में देखने को नहीं मिलता है। पूरे वर्ष रोजाना एक कन्या का कोमारी पूजन होता है। वहीं ५१ दीपों का दीपदान किया जाता है। नवरात्रि में सभी कन्याओं को पूजन इसी अनुसार किया जाता है और १५१ दीपों का दीपदान प्रतिदिन किया जाता है। कन्याओं को राजभोग कराया जाता है जिसमें १० प्रकार के फल और मिठाईयां होती है। यहां रोजाना यजमानों द्वारा रोजभोग कराया जाता है। भक्तों में माता की विशेष कृपा रहती है, कन्याओं को बुलाने नहीं जाना पड़ता है। माता के समक्ष यजमान माता के शक्ति रूपों में दर्शन देने का आग्रह किया जाता है जिसके बाद मंदिर में कन्याओं का आने का सिलसीला शुरू हो जाता है। मंदिर में सैकड़ों भक्त सेवा देने आते है। सभी भक्तों की मनोकाना माता पूरी करती है।

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