वन माफियाओं ने पर्यावरण दिवस पर भी नहीं छोड़ा जंगलों को, चलती रही कुल्हाड़ियां

 

अनोखा तीर, भैरूंदा। वनों की अंधाधुंध कटाई क्षेत्र के लिए घातक साबित हो रही है। लाड़कुई व रेहटी वन परिक्षेत्र हजारों एकड़ में फैला क्षेत्र है। यहां पहले जंगलों का अपार समूह सागौन की बेशकीमती लकड़ियां और पर्यावरण के प्रति जागरूकता देखने को मिलती थीं। लेकिन अब यहां पर नजारे बदल चुके है। पर्यावरण को बढ़ाने की बात तो दूर जंगल में लकड़ियों का दोहन किया जा रहा है। अपने लालच के पीछे मानव पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाकर इन्हें नष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। मानव के शरीर पर होने वाले प्रहार से उसे तो दर्द होता है और वह अपने दर्द को बता भी देता है लेकिन पेड़ों पर होने वाले प्रहार से वह अपनी आपबीती किसी को नही बता पाता है। जो वन हमे आक्सीजन देेते हंै, जो मानव जीवन को सुरक्षित रखते हैं, जिनके कारण मानव का अस्तित्व चल रहा है, ऐसे पेड़-पौधों को काटने में मनुष्य सबसे पहले आगे रहकर नष्ट कर रहा है। जो हालात इस समय बने है यदि स्थितियां बदस्तूर जारी रही तो हम शुद्ध आक्सीजन लेने के लिए भी भटकेंगे। लेकिन ऐसा लगता है कि यह सभी बातें पुस्तकों में पढ़ने पर ही अच्छी लग रही है। सोशल मीडिया पर इस समय ज्ञान का उपदेश तो दिया जाता है लेकिन उसे पढ़ने के बाद अमल करने के बारे में कोई विचार नहीं करता। कुछ ऐसा ही नजारा लाड़कुई व रेहटी वन परिक्षेत्र में देखने को मिल रहा है। वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण हजारों हैक्टेयर में फैला घना जंगल समाप्ति की कगार पर पहुंच चुका है। वनों को बचाने वाले रक्षक ही भक्षक बन चुके है। यहां तक की पर्यावरण दिवस के मौके पर भी वन माफियाओं ने कुल्हाड़ियां चलाने से परहेज नहीं किया। ऐसे में कहा जा सकता है कि मानव को जीवन जीने के लिए पर्यावरण की नहीं बल्कि अधिक पैसों की आवश्यकता है। वन परिक्षेत्र में अमले द्वारा कटाई को रोकने दिखाबें के लिए कदम उठाए जाते हंै। लेकिन यह नाकाफी साबित हो रहे हैं। वन अमले की लापरवाही से बड़ी तादाद में वनों की कटाई का दौर चल रहा है। वन विभाग वनों की अवैध कटाई व परिवहन को रोकने के लिए लगातार कार्रवाई तो करता है लेकिन वन माफिया अमले की पकड़ से दूर रहते है। वर्षों से वन माफिया वन अमले को चकमा देकर बेस कीमती सागौन चुरा रहा है। लेकिन अमला इन्हें पकड़ने में वर्षों से नाकामयाब साबित हो रहा है। स्थिति यह है कि वन परिक्षेत्र लाड़कुई में बीच जंगलों में अवैध रूप से ईंट के भट्टे लगाकर ईंटों को पकाने के लिए जंगलों को तबाह किया जा रहा है। कुछ इस प्रकार का ही मामला रेहटी वन परिक्षेत्र के तहत आने वाले गांव चकल्दी का भी है। जहां वन परिक्षेत्र से कुछ ही दूरी पर आरा मशीन का संचालन किया जा रहा है। इन दोनों ही जगहों पर अवैध सागौन पहुंच रही है, लेकिन वन अमला हाथ पर हाथ धरे बैठे सब कुछ देख रहा है। बड़े पैमाने पर जंगलों से लकड़ी की कटाई की जा रही है। हरे-भरे पेड़ों पर दिन के उजाले व रात के अंधेरे में कटाई का सिलसिला बदस्तूर जारी है। जिससे वन संपदा नष्ट होती जा रही है, जो आने वाले समय के लिए मानव जाति के लिए बहुत बड़ा संकट खड़ा कर सकता है।

अनदेखी से हो रही कटाई या माफिया करता है मिलीभगत के साथ काम

वन विभाग की और वन परिक्षेत्र की देखभाल व मॉनिटरिंग के लिए बीटगार्ड तैनात किया जाता है, जिससे कि कही भी वनों की कटाई व परिवहन न हो सके। यदि ऐसा कुछ होता है तो वह इसकी जानकारी संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों को देकर इस पर रोक लगा सके। लेकिन यहां सब उलट ही हो रहा है। बीटगार्ड इस पूरे मामले पर अपनी आंखों पर पट्टी बांधे हुए या फिर मिली भगत कर खुलेआम वनों की कटाई करा रहे हंै। मामला बड़े नहीं और किसी की नजर में न आये, इसके लिए छुटपुट कार्रवाई कर इतिश्री की जा रही है। आज वनों के रक्षक ही भक्षक बनते दिखाई दे रहे है।

वन परिक्षेत्र में ईंट भट्टों का संचालन किस की स्वीकृति पर

इस समय लाड़कुई वन परिक्षेत्र में ईंट भट्टों का संचालन किया जा रहा है। यह भट्टे विभाग की अनुमति से लगाए गए है या फिर लोगों द्वारा सरकारी जमीन पर कब्जा कर इनका संचालन किया रहा है। इन भट्टों को देखने वाला कोई नही है। ईंट भट्टों के संचालन की अनुमति वरिष्ठ अधिकारियों ने दी है या नहीं यह भी अधिकारी नही बता पा रहे है। वन संपदा के अंदर ईंद का कारोबार संचालित होने से वनों पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है। न चाहते हुए भी कई बार वन संपदा आग की चपेट में आ जाती है। जिसका खामियाजा नुकसान के रूप में भुगतना पड़ता है। भट्टों का संचालन होने से गर्मी में आगजनी की घटनाएं अधिक घटित होती है।

कृषि भूमि में तब्दील जंगल

लाड़कुई व रेहटी वन परिक्षेत्र में हजारों एकड़ वन परिक्षेत्र को समाप्त कर वन माफियाओं ने कृषि भूमि में तब्दील कर चुके हैं। वन विभाग की मौन स्वीकृति से यह सब काम हो रहा है, इसमें विभागीय लोगों की मोटी कमाई से इंकार नहीं किया जा सकता। अवैध कब्जों पर सरकार ने नकेल कसने की वजाय उन्हें वहीं पर काबिज कर दिया है, जिससे जंगल समाप्त होते जा रहे है। जंगलों में बनी सरपट सड़को से अवैध कटाई कर निकाली जा रही सागौन वाहनों में लोड कर निकल रही है। कार्रवाई के नाम पर विभाग सिर्फ रस्म अदायगी कर रहा है।

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