सिंहस्थ के लिए मोहन सरकार ने बनाई 18 हजार 840 करोड़ रुपये की योजना, उज्जैन में होंगे ये बड़े काम

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अनोखा तीर उज्जैन। भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में साल 2028 में लगने वाले महाकुंभ सिंहस्थ की तैयारियों के लिए 18 हजार 840 करोड़ रुपये की योजना बनी है, जिसमें 19 विभिन्न विभागों के माध्यम से 523 कार्य कराना प्रस्तावित है। प्रस्तावित योजना में भारतीय जनता पार्टी के संकल्प पत्र (चुनावी घोषणा पत्र) की झलक दिखाई पड़ती है।

प्रस्तावित कार्यों की समीक्षा मंगलवार को मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने भोपाल में की। उन्होंने कहा कि सिंहस्थ से पहले उज्जैन-इंदौर संभाग को धार्मिक-आध्यात्मिक सर्किट के रूप में विकसित करें। कार्य योजना में पशुपतिनाथ मंदसौर, खंडवा स्थित दादा धूनी वाले, भादवा माता, नलखेड़ा, ओंकारेश्वर आदि तक सुगम आवागमन और उनके अधोसंरचना सुधार को सम्मिलित करें।

मुख्‍यमंत्री ने कहा कि क्षिप्रा नदी के घाटों का विस्तार किया जाए ताकि बड़ी संख्या में श्रद्धालु सरलता से स्नान कर सकें। सड़क मार्गों पर पर्याप्त पार्किंग व्यवस्था, मूलभूत सुविधाएं, गेस्ट हाउस विकसित किए जाएं। शहर में संचालित होटलों और धर्मशालाओं की व्यवस्था सुदृढ़ की जाए।

अफसरों ने बताया कि आगामी सिंहस्थ में 9 अप्रैल से 8 मई की अवधि में 3 शाही स्नान और 7 पर्व स्नान प्रस्तावित हैं। सिंहस्थ में 14 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है।

पिछली बार हुए थे साढ़े चार हजार करोड़ के काम

सिंहस्थ-2016 से पहले सरकार ने साढ़े चार हजार करोड़ रुपये के काम उज्जैन और उसके आसपास के जिलों में कराए थे। तब 100 से अधिक सड़कों काे चौड़ा किया था और 11 पुल बनाए गए थे। इस बार चार गुना राशि खर्च कर काम कराने का प्रस्ताव तैयार हुआ है।

ये काम होंगे
धार्मिक एवं पौराणिक महत्व के सप्त सागरों का पर्यटन स्थल के रूप में विकास एवं सुंदरीकरण।

इंदौर-भोपाल सड़क मार्ग के रास्ते उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं को सीधे मंदिर पहुंचाने के लिए 300 करोड़ रुपये खर्च कर महामृत्युंजय द्वार से त्रिवेणी संग्रहालय पार्किंग स्थल तक 3700 मीटर लंबा फोरलेन एलिवेटेड कॉरिडोर बनाना।

 80 करोड़ रुपये खर्च कर मेघदूत वन पार्किंग स्थल से श्री महाकाल महालोक के नंदी द्वार तक 500 मीटर लंबा और 150 करोड़ रुपये खर्च कर इंदौर गेट रेलवे स्टेशन से हरिफाटक पुल तक 800 मीटर लंबा फुट ओवर ब्रिज बनाना।

 116 करोड़ रुपये से महाकाल मंदिर के आसपास की सड़कों का विकास करना।

153 करोड़ रुपये से रेलवे स्टेशन से महाकालेश्वर मंदिर तक रोप-वे बनाना।

 84 करोड़ रुपये से 4.3 किलोमीटर लंबे महाकाल सवारी मार्ग को 15 से 24 मीटर चौड़ा कर हेरिटेज स्ट्रीट के रूप में विकसित करना।

 30 करोड़ रुपये से पंचकोशी यात्रा मार्ग के सात पड़ाव स्थलों पर बुनियादी कार्य कराना।

 देवास रोड फोरलेन सड़क परियोजना से छूटे हिस्से (नागझिरी से दताना तक) में 38 करोड़ 52 लाख रुपये से फोरलेन सड़क बनवाना।

 उज्जैन को जोड़ने वाले शेष छह मुख्य मार्गों को चौड़ा करना।

 क्षिप्रा रिवर फ्रंट परियोजना अंतर्गत ऐतिहासिक 17 घाटों का वास्तु चरित्र पुनजीर्वित करना और 24 किलोमीटर दायरे में सात नए घाट, दो बैराज बनाना।

 उज्जैन शहर में 100 और उपनगरीय क्षेत्रों तक 16 इलेक्ट्रिक बसें संचालित की जाएगी।

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