हत्या या हादसा?

नितेश गोयल, हरदा:-हर एक-दो साल में इस फटाका फैक्ट्री के माध्यम से फटाके के बारूद से १० सालों में १० मौतें हो चुकी है। फैक्ट्री के मालिक राजेश, सोमेश और प्रदीप की अलग-अलग नामों से संचालित फैक्ट्री पर हर बार हादसा होने के बाद जांचें हुई, रोक लगी, आरोपी जेल भी गए उसके बावजूद प्रशासन ने पुन: उन्हें लायसेंस देकर इस अवैध काम को वैध तरीके से करने की पूरी छूट दे दी। हम बात करें पुराने मामलों की तो जहां वर्ष २०१९ में पीपलपानी ग्राम में इसकी फैक्ट्री में २ की मौत हुई थी, वहीं ११ मई २०२१ को १ घर में इसी पटाखा कारोबारी के पटाखा बनाने के लिए दिए गए बारूद के कारण 3 लोग जल मरे थे। वहीं २०१४ में आईटीआई के पीछे बनी बस्ती के एक घर में पटाखों के विस्फोट से २ बच्चों की मौत हुई थी। वहीं वर्ष २०१५ में एक परिवार में पटाखों के बचे हुए बारूद को बाहर फैंक दिया था, सुबह नगरपालिका का कर्मचारी कचरा एकत्र कर उसे जला रहा था, तभी विस्फोट हुआ था। जिसमें एक युवक की मौत हुई थी। इसी तरह वर्ष २०१६ में बैरागढ़ स्थित खेत में बनी फार्म हाउस में पटाखे के गोदाम में विस्फोट होने से दो युवकों की दर्दनाक मौतें हुई थी। हर बार इस पटाखे के अवैध कारोबार से मौतें होने के बाद तात्कालीन कलेक्टर और एसपी द्वारा फैक्ट्री को सील कर दिया जाता था और फैक्ट्री मालिक के विरूद्ध अपराध कायम कर उसे गिरफ्तार भी किया गया जाता रहा है। आरोपी पटाखा कारोबारी के खिलाफ कई मामले चल रहे हैं। इन मामलों में कई बार जेल की हवा भी खा चुका है। इसके बावजूद पटाखा कारोबारी वर्तमान प्रशासनिक अधिकारियों से सांठगांठ कर इस कारोबार को संचालित कर रहा है।

देखने वाली बात यह है कि चलो प्रशासन ने लायसेंस दे दिया तो यह भी देखना जरुरी था कि वहां काम करने वाले जो मजदूर है वह कुशल है या नहीं। फैक्ट्री मालिक ने सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए है या नहीं। जानकारी के अनुसार यहां तक पता चला है कि इस फैक्ट्री मालिक ने बारुद रखने के लिए एक तलघर का निर्माण किया था। उसी से ही यह आग फैली है। जिस समय यह आगजनी की घटना हुई उस समय सैकड़ों महिलाएं, पुरुष एवं बच्चे वहां पर कार्य कर रहे थे। जिस स्थान पर यह फैक्ट्री संचालित हो रही है वह हरदा नगर का वार्ड क्रं. ३१ आता है। वहां लगभग २०० मकान है जिसमें हजारों लोग रहते है। उस स्थान पर यह फैक्ट्री का संचालन कैसे हो रहा था। आज के इस दर्दनाक हादसे की जितनी जिम्मेदारी उस फैक्ट्री मालिक की है उससे कही अधिक जिम्मेदारी जिले के प्रशासनिक अधिकारियों की मानी जानी चाहिए। क्योंकि जिस जगह यह फैक्ट्री संचालित थी वहां पर वैध तरीके से लायसेंस दिया ही नहीं जा सकता। इस मामले में जिले के जनप्रतिनिधि भी दोषी है, क्योंकि वह भी अपनी आंख मूंदकर बैठे हुए थे। फैक्ट्री मालिक को तो पैसे का लालच था। इस लालच में वह सब कुछ भूल बैठा था। क्योंकि पहले भी हुए हादसे में वह आसानी से बच निकला था। इसलिए उसका तो दोष नहीं है, लेकिन आज के इस फटाका फैक्ट्री में हुए हत्याकांड की जिम्मेदारी की बात की जाए तो वह सब हत्यारे है जिन्होंने इस अवैध धंधे को पैसे के लालच में वैध बनाकर संचालित करवाया और आज कई लोगों की जान ले ली।

 

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