मध्य प्रदेश

पहले रामलला को कैद में देखा, अब भव्य मंदिर में दर्शन की लालसा

ग्वालियर- अयोध्याधाम में विवादित ढांचा गिराये जाने के मामले में कैदार जैन सीबीआई के मुख्य गवाह थे और वे छह में उत्साही कारसेवकों के विवादित ढांच गिराये जाने के साक्षी भी है। लंबे संघर्ष के बाद जन्मभूमि में रामलला का भव्य एवं आलोकिक मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण होने से जैन भी गौरवांवित महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि रामलला को कैद से मुक्त होते मैंने देखा हैं, अब मेरी अदम्य इच्छा है कि रामलला को उसी स्थान पर भव्य मंदिर में विराजित होते इन नेत्रों से देखकर पर स्वयं को सौभाग्यशाली समझुंगा। मैंने रामलला को कैद में फोटो खीचा था, अब इच्छा है कि भव्य मंदिर विराजित रामलला का अपने दिल व कैमरे में कैद करो। मुझे भी अयोध्याधाम से प्रभु श्रीराम के बलावे का बेसब्री से इंतजार है। उनका कहना है कि छह दिसबंर का कारसेवा का दृश्य उनकी अमिट स्मृति में हैं। उस दिन कार्यकर्ता का उत्साह व जोश के सामने उनका नेतृत्व कर रहे नेता भी विवादित ढांचे को गिरता हुआ देखकर विस्मित थे। साध्वी उमा भारती तो ढांचा गिरने पर अपने जज्बातों पर नियंत्रण तक नहीं कर पाईं थीं। क्योंकि वो क्षण ही ऐसा था। क्योंकि भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनने का सपना साकार होेने के लिए मार्ग प्रशस्त्र हुआ था।

बेरोक-टोक पहुंच गए थे अयोध्या

केदार जैन ने बताया कि 1990 की कारसेवा के लिए संघर्ष के बाद परिस्थतियां काफी अनुकूल थी। क्योंकि उत्तर प्रदेश में भाजपा की कल्याण सिंह की सरकार थी। इसलिए कारसेवक लाखों की संख्या में पहले पहुंचना शुरु हो गए थे। प्रेस फोटोग्राफर के रूप में मुझे भी अयोध्या में पांच दिन पहले ही एंट्री मिल गई थीं। पांच दिन तक हम लोग अयोध्या में घूमते रहे। ताले में कैद रामलला के दर्शन भी किये।फोटो भी खीचा। विवादित ढाचे के आसपास उत्तर प्रदेश पुलिस के जवान तैनात थे। उसके आगे कंटीले तार व झाड़ियां लगी हुई थी। ताकि कारसेवकों के वहां तक जाने से रोका जा सके थे।

यह स्वरूप तय हुआ था कारसेवा

 अशोक सिंघल कारसेवकों का मार्गदर्शन करने के लिए आए। सिंघल ने कार्यकर्ताओं को स्वरूप को समझाते हुए कहा कि हमें कारसेवा प्रतीकात्मक करनी है। पवित्र सरयू की मुट्ठी रेत और पवित्र जल जन्म भूमि के पास स्थित गड्ढे में डालकर भरना है। यह सुनकर देशभर से आई मीडिया के लोगों ने समझा कि प्रदेश में भाजपा सरकार होने के कारण सब कुछ प्रकीतात्मक रहेगा। सब लोगों ने अयोध्या से जाने की तैयारी शुरु कर दी। इसी बीच विहिप ने प्रेस के कार्ड बनाना शुरु कर दिये। क्योंकि प्रेस के कवरेज की व्यवस्था कनक भवन से की थी। मीडिया वहां पहुंच गई और कनक भवन में घिरकर रह गई।

कारसेवा पहले से तय करके आए थे, कोई ढांचा नहीं रहेगा

शायद कारसेवक पहले से तय करके आए थे, बाद किसी कारसेवा की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। हर कीमत पर राममंदिर का मार्ग प्रशस्त्र करके ही अयोध्या से जाएंगें। लाखों कारसेवकों को नियंत्रित करने के लिए मंच पर भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष डा मुरली मनोहर जोशी, राजमाता विजयाराजे सिंधिया, विनय कटियार, साध्वी ऋतुम्भरा, लालकृष्ण आडवाणी,बजरंग दल के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष जयभान सिंह पवैया मौजूद थे। एक तरफ नेताओं के नपे-तौले भाषणों के कुछ शब्द ही सुनाई दे रहे थे। क्योंकि कारसेवकों के जयश्रीराम के जयघोष में सभी की आवाजें दब गईं थीं। सिर्फ चारों दिशाओं से जयश्रीराम का घोष सुनाई दे रहा था। अचानक बेरीकेट्स के पास मौजूद कारसेवकों ने प्रशिक्षितों की तरह कंटीली बाढ़ को लांघना शुरु कर दिया। विवादित ढांचे तक हजारों कारसेवक पहुंच गए। कुछ रस्सी के साहरे गुंबद पर चढ़ गए और ऊपरी हिस्से से ढाचे को गिरना शुरु कर दिया। धूल का गुबार चारों तरफ कुछ कार्यकर्ता इस कलंक के ढांचे को गिरा रहे थे, और कुछ उसके मलबे को अपने साथ ले गए थैलों व बैगों में भरना शुरु कर दिया। कुछ ने अपने कपड़े उतारकर उसमें मलबा समेट लिये। विवादित ढांचा गिरने के बाद वहां उसकी धूल भी नहीं बची थी। आनन-फानन में चबुतरे का निर्माण कर रामलला को विराजित कर टेंट लगा दिया।

ऐसे हुए बरी

कैदार जैन ने बताया कि वे विवादित ढाचा गिराने के मुख्य गवाह थे। कोर्ट में भी उनके नाम की आवाज रामलला के फोटोग्राफर के रूप में लगती थी। भाजपा के बड़े नेताओं की तरफ से अभिभाषकों के पैनल थे। वे यह साबित करने की कोशिश कर रहे थे, मैं वहां मौजूद नहीं था। वो उमाभारती व डा मुरली मनोहर जोशी से संबंधित फोटो टीकमगढ़ का है। कोर्ट में कभी नहीं नकारा, मैं वहां मौजूद नही था। फोटो भी उसी घटनाचक्र हैं, यह भी स्वीकार किया। अंत में एक अभिभाषक ने मुझ से पूछा कि आप वहां मौजूद थे। मैंने हां में उत्तर दिया। नाम लेकर पूछा कि (बड़े नेता) कहां थे। मैंने कहा कि यह लोग इतने बुजुर्ग हैं कि ढांचे पर चढ़कर तोड़ना तो दूर, वहां तक जाने तक की स्थिति में नहीं थे। बस इसी बात पर सारे आरोपित बरी हो गए।

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