ना सडक़, ना प्रकाश और ना ही बाऊंड्रीवाल, बहुउद्देशीय भवन का नहीं हो पा रहा उपयोग

भैरूंदा। स्कूल की गतिविधियों का सुविधा पूर्वक संचालन हो सके। विद्यार्थियों को सांस्कृतिक खेलकूद सहित अन्य आयोजनों के लिए भटकना ना पड़े इसके लिए सीएम राइज स्कूल के खेल मैदान पर दो वर्ष पूर्व लगभग 1 करोड़ रुपए की लागत से मल्टीपरपस भवन का निर्माण तो करा दिया गया, लेकिन सुविधाओं के आभाव में इस भवन का उपयोग नहीं हो पा रहा है। स्थिति यह हैं कि विद्यार्थी परेशान हैं और वह भवन तक पहुंच भी नहीं पा रहे। सरकार ने जिस उद्देश्य से करोड़ो रुपए की राशि खर्च की थी वह पूरी तरह अनुपयोगी साबित हो रही है। आलम यह हैं कि भवन के चारो और बरसात का पानी भराने से यहां तक पहुंचना भी विद्यार्थियों के लिए कोसो दूर चलने जैसा है। स्कूल प्रबंधन के लिए जब यह भवन अनुपयोगी साबित हुआ तो शिक्षा विभाग ने यहां स्टोर रूम बनाते हुए यहां क्षेत्र के स्कूलों में विद्यार्थियों को वितरित की जाने वाली नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकों का भंडारण यहां करा लिया है। वर्तमान में यहां पर किताबों का ढेर लगा हुआ हैं। शिक्षा सत्र शुरु हो चुका हैं लेकिन किताबें पूरी तरह नहीं बंट सकी है। शिक्षा विभाग भी इस मामले में अपने आपको को असहाय मान रहा है। क्योंकि मल्टीपरपस भवन तक पहुंचने के लिए कोई सडक़ नहीं होने से यहां पर वाहन पहुंचना भी संभव नहीं है। यदि जैसे-तैसे कोई वाहन चालक वाहन को ले जाता हैं तो कीचड़ अधिक होने के चलतें वह बीच में फंसकर ही रह जाएगा।

स्कूल परिसर में अतिक्रमण, बाऊंड्रीवाल भी नहीं
स्कूल परिसर व मल्टीपरपस भवन के आसपास बेहताशा तरीके से अतिक्रमण पसरा हुआ है। पिछले कई वर्षो से यहां पर अतिक्रमणकारियों ने पक्के मकानों का निर्माण कर पानी की निकासी भी मैदान पर कर रखी है। जिससे यहां पूरे वर्षभर ही पानी का जमावड़ा व गंदगी पसरी रहती है। इस मामले में कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों व स्कूल प्रबंधन के द्वारा अतिक्रमणकारियों को नोटिस भी जारी किए गए, लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया। अतिक्रमण होने के कारण यहां पर बाऊंड्रीवाल का निर्माण भी नहीं हो पा रहा है। स्थिति यह हैं कि बाऊंड्रीवाल स्वीकृत होने के बाद भी राशि का आवंटन नहीं हो पाया और यह पिछले दो वर्षो से कागजों में ही मामला अटका हुआ है। इस मामले में कई बार प्रशासन से अतिक्रमण हटाये जाने के संबंध में भी गुहार लगाई जा चुकी हैं। लेकिन अतिक्रमणकारियों पर मेहरबानी बनी हुई है।

कीचड़ के साथ पसरा रहता है अंधेरा
कई उद्देश्यों के लिए बनाये गए इस भवन के आसपास व खेल मैदान पर बरसात के दिनों के अतिरिक्त पूरे वर्षभर कीचड़ व गंदगी का अंबार रहता है। सांस्कृतिक, राजनैतिक कार्यक्रम व धार्मिक कार्यक्रमों के समय ही इस मैदान की सुध ली जाती है। इसके बाद मैदान को उसके हाल पर छोड़ दिया जाता है। दशहरा उत्सव नगर परिषद के द्वारा यहां प्रतिवर्ष मनाया जाता है, लेकिन दशहरा पर्व सम्पन्न होने के बाद मैदान की साफ-सफाई की सुध भी नहीं ली जाती है। स्थिति यह हैं कि इस मैदान पर प्रकाश की कोई व्यवस्था नहीं होने से यहां रात के समय अंधेरा बना रहता है, जिसका फायदा आसामाजिक तत्वों द्वारा उठाकर कई गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है।

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