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भौरा। नगर में जन्माष्टमी का त्योहार शुक्रवार को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में जन्माष्टमी के त्योहार का विशेष महत्व है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की विधि-विधान से पूजा की जाती है। जन्माष्टमी हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है। पुराणों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने भाद्रपद माह में ही रोहिणी नक्षत्र में जन्म लिया था। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल जन्माष्टमी का त्योहार शुक्रवार को मनाया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस के दिन विधि-विधान से पूजा करने व व्रत रखने से भगवान श्रीकृष्ण उस व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी करते हैं। नगर में शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव नगर में बड़े धूमधाम से हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। जिसको लेकर नगर के राधा कृष्ण मंदिर सहित अन्य मंदिरों के द्वारा सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। श्रीराधा कृष्ण मंदिर आयोजन समिति के संतोष नायक ने बताया कि शुक्रवार को श्रीकृष्ण के पवित्र त्योहार जन्माष्टमी को राधा कृष्ण मंदिर के भक्तों द्वारा बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। शाम 7 बजे आरती होगी उसके बाद मंदिर परिसर में आमंत्रित भजन मंडल नागराज भजन मंडल द्वारा प्रस्तुति दी जाएगी। रात्रि 12 बजे भगवान का पूजन व आरती होगी, जिसके बाद भक्तों को प्रसाद वितरण किया जाएगा।
जन्माष्टमी तिथि का महत्व
पंडित कृष्ण कुमार अग्निहोत्री के अनुसार, भगवान विष्णु जी ने धर्म की स्थापना के लिए श्रीकूष्ण के रूप में जन्म लिया था। इस दिन व्रत धारण कर श्रीकृष्ण का स्मरण करना अत्यंत फलदाई होता है। शास्त्रों में जन्माष्ठमी के व्रत को व्रतराज कहा गया है। भविष्य पुराण में इस व्रत के संदर्भ में उल्लेख है कि जिस घर में यह देवकी-व्रत किया जाता है वहां अकाल मृत्यु, गर्भपात, वैधव्य, दुर्भाग्य तथा कलह नहीं होती। जो एक बार भी इस व्रत को करता है वह संसार के सभी सुखों को भोगकर विष्णुलोक में निवास करता है।
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