लंपी वायरस को ऐसे पहचाने
पशु चिकित्सकों से मिली जानकारी के अनुसार लंपी वायरस की चपेट में आने पर पशु को बुखार आ जाता है। आंख एवं नाक से स्राव, मुंह से लार निकलती है, शरीर में गांठों जैसे नरम छाले पड़ जाते हैं। पशु दूध देना बंद कल देता है। गर्दन और सिर के पास गाठें दिखाई देती हैं। बीमारी पशुओं से मनुष्यों में नहीं फैलती है।
एक सप्ताह तक नहीं पता चलते लक्षण
राजस्थान में लंपी वायरस फैलने से हजारों की तादाद में गायों की मौत हो गई है। अब मध्यप्रदेश में इसकी दस्तक से दहशत का माहौल है। लंपी वायरल तेजी से फैलने के पीछे पशु चिकित्सकों का कहना है कि इस वायरस की चपेट में आने के बाद पशु में सात दिनों तक कोई लक्षण नहीं दिखते, यहीं वजह है कि वायरस तेजी से पशुओं में फैल रहा है। एक पशु में लक्षण होने पर यह दूसरे में फैल जाता है और संपर्क में आने से तेजी से पशु संक्रमित हो रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार लंपी वायरस का कारण कैप्रिपॉक्स वायरस है। जब कोई जानवर कैप्रिपॉक्स वायरस की चपेट में आता है तो वह धीरे धीरे कमजोर हो जाता है। खाना पीना छोड़ देता है। वायरस का असर पहले शरीर फिर खून और आखिर में दूध पर होता है।
मक्खी-मच्छर कर रहे ट्रांसमिट
लंपी वायरस तेजी से फैलने का एक कारण मच्छर और मक्खियों को भी बताया जा रहा है। मक्खी मच्छर एक पशु से दूसरे पशु पर बैठते हैं, जब कोई पशु लंपी वायरस से संक्रमित होता है तो उसके शरीर की गाठों से सफेद पानी बहता है। मक्खी मच्छर इन्हीं गाठों पर बैठते है और फिर जाकर दूसरे पशु पर बैठ जाते हैं, जिससे लंपी वायरस एक से दूसरे में फैल रहा है।
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