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इंदौर निवासी अधिवक्ता डॉ. अमन शर्मा की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश में हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के लाइव टेलीकास्ट की सेवा प्रारंभ की गई है। सेवा प्रारंभ करने का मुख्य उद्देश्य न्यायालय की कार्यवाही सभी संबंधित पक्षकार व लोग देख सकें। न्यायालयीन कार्यवाही के लाइव टेलीकास्ट को रिकॉर्ड कर अन्य सोशल मीडिया में टेलीकास्ट किया जा रहा है।
इतना ही नहीं रिकॉर्डिंग के साथ छेड़छाड़ की जाती है। पूरी रिकॉर्डिंग नहीं दिखाकर सिर्फ कुछ अंश ही प्रकाशित करते हैं। जिसके कारण पूरी सच्चाई सामने नहीं आती और अर्थ का अनर्थ निकले जाने लगता है। जैसा करना न्यायालय की छवि धूमिल करने जैसा है। याचिका में केन्द्रीय सूचना एव प्रसारण मंत्रालय, फेसबुक, यू-टूयूब, इंस्टाग्राम व वॉटस-अप को अनावेदक बनाया गया था। याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने अनावेदक नहीं बनाए जाने पर आपत्ति उठाई। जिसके बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अभिनव धानोदकर ने पैरवी की।
विस्तार
कोर्ट के लाइव टेलीकास्ट की रिकॉर्डिंग करने के बाद विभिन्न सोशल नेटवर्टिंग साइट में अपलोड किए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि रिकॉर्डिंग में छेड़छाड़ कर उसे सोशल मीडिया में अपलोड किया जाता है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने याचिका में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को अनावेदक बनाने के निर्देश जारी किए हैं।
इंदौर निवासी अधिवक्ता डॉ. अमन शर्मा की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश में हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के लाइव टेलीकास्ट की सेवा प्रारंभ की गई है। सेवा प्रारंभ करने का मुख्य उद्देश्य न्यायालय की कार्यवाही सभी संबंधित पक्षकार व लोग देख सकें। न्यायालयीन कार्यवाही के लाइव टेलीकास्ट को रिकॉर्ड कर अन्य सोशल मीडिया में टेलीकास्ट किया जा रहा है।
इतना ही नहीं रिकॉर्डिंग के साथ छेड़छाड़ की जाती है। पूरी रिकॉर्डिंग नहीं दिखाकर सिर्फ कुछ अंश ही प्रकाशित करते हैं। जिसके कारण पूरी सच्चाई सामने नहीं आती और अर्थ का अनर्थ निकले जाने लगता है। जैसा करना न्यायालय की छवि धूमिल करने जैसा है। याचिका में केन्द्रीय सूचना एव प्रसारण मंत्रालय, फेसबुक, यू-टूयूब, इंस्टाग्राम व वॉटस-अप को अनावेदक बनाया गया था। याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने अनावेदक नहीं बनाए जाने पर आपत्ति उठाई। जिसके बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अभिनव धानोदकर ने पैरवी की।
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