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सूचना का अधिकार आंदोलन के संयोजक अजय दुबे ने सीएम को शिकायत की है। इसमें उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीवीआईपी संस्कृति को दरकिनार कर आम आदमी को सम्मान प्रदान करने और सरकारी राजस्व के स्वच्छ नियम अनुसार पारदर्शी उपयोग को बढ़ावा दिया। प्रधानमंत्री ने 2019 में सूचना अधिकार अधिनियम 2005 में संशोधन कर केंद्र/ राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त/सूचना आयुक्त को निर्वाचन आयुक्त के समकक्ष मिलने वाली सुविधाओं पर रोक लगाई। दुबे ने कहा कि एके शुक्ला ने मार्च 2019 में नियुक्ति के बाद से ही अपने निजी दौरे में प्रदेश के संबंधित जिला प्रशासन एवं जिला पुलिस से पायलट वाहन और फॉलो वाहन मांग कर उपयोग करते हैं। उन्होंने शिकायत में कहा कि 20 जून से 22 जून तक एक विवाह कार्यक्रम में भोपाल से इंदौर जाते समय और वापस आते समय शुक्ला ने इस सुविधा का उपयोग किया। इसकी पुष्टि भोपाल, सीहोर, देवास और इंदौर के पुलिस प्रशासन से की जा सकती है।
इसके अलावा दुबे ने शुक्ला पर आरोप लगाया कि शुक्ला ने पात्र नहीं होने के बावजूद भोपाल पुलिस से दो सशस्त्र कर्मी लिए हैं, जिनको अपनी सुचना के अधिकार की सुनवाई में कक्ष में खड़ा रखते हैं। इससे आम जनता पर मानसिक दबाव बनता है। शिकायकर्ता अजय दुबे ने कहा कि शुक्ल अपने रसूख का गलत उपयोग कर रहे हैं, जो अवैधानिक है। साथ ही यह भी कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अपात्रों से सुरक्षा कर्मियों को वापस लेने और जनता की सेवा में लगाने के आदेश किया है। इसके बावजूद शुक्ला सुरक्षा कर्मी वापस नहीं कर रहे हैं।
साथ ही शिकायत भी यह भी उल्लेख किया है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मुख्य सूचना आयुक्त शुक्ल पर विधि विरुद्ध आदेशों पर दिसंबर 2021 और जून 2022 में 2 प्रकरणों में 2 हजार रुपये शास्ति अधिरोपित की है, जो कि बेहद गंभीर कार्रवाई है। इससे मध्य प्रदेश सूचना आयोग का नाम धूमिल हुआ। इससे पहले किसी मुख्य सूचना आयुक्त पर इस तरह की कार्रवाई नहीं हुई।
अजय दुबे ने सीएम को दी शिकायत में कहा कि मध्य प्रदेश राज्य सूचना अयोग के सरकारी खजाने से जुर्माना भरने का निर्देश कार्यालय को दिया है। उन्होंने सीएम से इन प्रकरणों को संज्ञान लेकर अवैधानिक आचरण पर रोक लगाने और शुक्ल को बर्खास्त करने की मांग की है।
विस्तार
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्य सूचना आयुक्त अरविंद शुक्ला की शिकायत को सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) को भेज दिया है। अब जीएडी शुक्ला पर लगे आरोपों की जांच करेगा।
सूचना का अधिकार आंदोलन के संयोजक अजय दुबे ने सीएम को शिकायत की है। इसमें उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीवीआईपी संस्कृति को दरकिनार कर आम आदमी को सम्मान प्रदान करने और सरकारी राजस्व के स्वच्छ नियम अनुसार पारदर्शी उपयोग को बढ़ावा दिया। प्रधानमंत्री ने 2019 में सूचना अधिकार अधिनियम 2005 में संशोधन कर केंद्र/ राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त/सूचना आयुक्त को निर्वाचन आयुक्त के समकक्ष मिलने वाली सुविधाओं पर रोक लगाई। दुबे ने कहा कि एके शुक्ला ने मार्च 2019 में नियुक्ति के बाद से ही अपने निजी दौरे में प्रदेश के संबंधित जिला प्रशासन एवं जिला पुलिस से पायलट वाहन और फॉलो वाहन मांग कर उपयोग करते हैं। उन्होंने शिकायत में कहा कि 20 जून से 22 जून तक एक विवाह कार्यक्रम में भोपाल से इंदौर जाते समय और वापस आते समय शुक्ला ने इस सुविधा का उपयोग किया। इसकी पुष्टि भोपाल, सीहोर, देवास और इंदौर के पुलिस प्रशासन से की जा सकती है।
इसके अलावा दुबे ने शुक्ला पर आरोप लगाया कि शुक्ला ने पात्र नहीं होने के बावजूद भोपाल पुलिस से दो सशस्त्र कर्मी लिए हैं, जिनको अपनी सुचना के अधिकार की सुनवाई में कक्ष में खड़ा रखते हैं। इससे आम जनता पर मानसिक दबाव बनता है। शिकायकर्ता अजय दुबे ने कहा कि शुक्ल अपने रसूख का गलत उपयोग कर रहे हैं, जो अवैधानिक है। साथ ही यह भी कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अपात्रों से सुरक्षा कर्मियों को वापस लेने और जनता की सेवा में लगाने के आदेश किया है। इसके बावजूद शुक्ला सुरक्षा कर्मी वापस नहीं कर रहे हैं।
साथ ही शिकायत भी यह भी उल्लेख किया है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मुख्य सूचना आयुक्त शुक्ल पर विधि विरुद्ध आदेशों पर दिसंबर 2021 और जून 2022 में 2 प्रकरणों में 2 हजार रुपये शास्ति अधिरोपित की है, जो कि बेहद गंभीर कार्रवाई है। इससे मध्य प्रदेश सूचना आयोग का नाम धूमिल हुआ। इससे पहले किसी मुख्य सूचना आयुक्त पर इस तरह की कार्रवाई नहीं हुई।
अजय दुबे ने सीएम को दी शिकायत में कहा कि मध्य प्रदेश राज्य सूचना अयोग के सरकारी खजाने से जुर्माना भरने का निर्देश कार्यालय को दिया है। उन्होंने सीएम से इन प्रकरणों को संज्ञान लेकर अवैधानिक आचरण पर रोक लगाने और शुक्ल को बर्खास्त करने की मांग की है।
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