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उल्लेखनीय है कि जनहित का यह मामला महाराष्ट्र अमरावती निवासी एडविट किओले की ओर से हाईकोर्ट में दायर किया गया है। जिसमें कहा गया है कि बैतूल-औबेदुलागंज के बीच नेशनल हाईवे-69 का निर्माण किया जा रहा है। निर्माण कार्य के लिए वन विभाग की अनुमति ली गई है। एनएच के निर्माण में महाराष्ट्र के मेलघाट व मध्य प्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बीच का हिस्सा भी आता है। एनटीसीए द्वारा देश में घोषित मुख्य 32 टाइगर कॉरिडोर में सतपुड़ा व मेलघाट भी शामिल है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में टाइगर सहित अन्य वनजीव रहते हैं। जो आने जाने के लिए इस कॉरिडोर का उपयोग करते हैं। याचिका में कहा गया है कि नियम अनुसार टाइगर कॉरिडोर में निर्माण के लिए नेशनल टाइगर कंजरवेटर अथॉरिटी (एनटीसीए) तथा नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ की अनुमति आवश्यक है। इससे बिना अनुमति लिए एनएचएआई द्वारा सड़क निर्माण कार्य शुरू कर दिया है।
कोर्ट को बताया गया कि इसके लिए बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई हो रही है। याचिका में कहा गया था कि वे विकास कार्य के खिलाफ नहीं हैं, परंतु वन तथा वन प्राणियों का संरक्षण आवश्यक है। एनटीसीए ने भी वन प्राणियों के संरक्षण के लिए हाईवे के निर्माण के दौरान वन प्राणियों के आवागमन के लिए अंडर तथा ओवर मार्ग बनाने तथा पुलिया सहित अन्य दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जिससे वन प्राणियों के जन-जीवन पर अधिक असर नहीं पड़े। याचिका में केन्द्र सरकार के एनवायरमेंट एवं फॉरेस्टस क्लाइमेट चेंज डिपार्टमेंट के सचिव, नेशनल टाइगर कंजरवेटर अथॉरिटी, नेशनल बोर्ड आफ वाइल्ड लाइफ के चेयरमैन, एनएचएआई, मप्र शासन के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी फॉरेस्ट व पीसीसीएफ को पक्षकार बनाया गया है।
मामले की पूर्व सुनवाई के दौरान एनएचएआई की ओर से पेश किए गए जवाब में बताया गया कि अन्य संबंधित विभाग की एनओसी प्राप्त कर ली गई है। एनटीसीए से अनुमति के लिए प्रयास जारी हैं। नेशनल हाई-वे के निर्माण में इस बात का विशेष ध्यान रखा जा रहा है कि वन जीवों का जीवन किसी तरह से प्रभावित न हो। जिस पर न्यायालय ने निर्माण पर रोक लगा दी थी। मामले में मंगलवार को आगे हुई सुनवाई पर एनएचएआई की ओर से पेश किए गए आवेदन का निराकरण करते हुए न्यायालय ने उक्त निर्देश दिए, हालांकि विस्तृत आदेश की फिलहाल प्रतीक्षा है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह व तान्या तिवारी ने पक्ष रखा।
विस्तार
सतपुड़ा-मेलघाट टाइगर कॉरिडोर के बीच से बैतूल-औबेदुलागंज नेशनल हाईवे-69 के निर्माण को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष एनएचएआई की ओर से एक आवेदन पेश कर कहा गया कि सड़क खराब है और बारिश का मौसम है, जिस पर उन्हें निर्माण की अनुमति प्रदान की जाए। युगलपीठ ने आवेदन का निराकरण करते हुए निर्देशित किया है वे बारिश से खराब हुई सड़क को रिपेयर कर सकते हैं, बाकि किसी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं करेंगे। युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 10 अगस्त को निर्धारित की है, हालांकि विस्तृत आदेश प्रतीक्षित है।
उल्लेखनीय है कि जनहित का यह मामला महाराष्ट्र अमरावती निवासी एडविट किओले की ओर से हाईकोर्ट में दायर किया गया है। जिसमें कहा गया है कि बैतूल-औबेदुलागंज के बीच नेशनल हाईवे-69 का निर्माण किया जा रहा है। निर्माण कार्य के लिए वन विभाग की अनुमति ली गई है। एनएच के निर्माण में महाराष्ट्र के मेलघाट व मध्य प्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बीच का हिस्सा भी आता है। एनटीसीए द्वारा देश में घोषित मुख्य 32 टाइगर कॉरिडोर में सतपुड़ा व मेलघाट भी शामिल है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में टाइगर सहित अन्य वनजीव रहते हैं। जो आने जाने के लिए इस कॉरिडोर का उपयोग करते हैं। याचिका में कहा गया है कि नियम अनुसार टाइगर कॉरिडोर में निर्माण के लिए नेशनल टाइगर कंजरवेटर अथॉरिटी (एनटीसीए) तथा नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ की अनुमति आवश्यक है। इससे बिना अनुमति लिए एनएचएआई द्वारा सड़क निर्माण कार्य शुरू कर दिया है।
कोर्ट को बताया गया कि इसके लिए बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई हो रही है। याचिका में कहा गया था कि वे विकास कार्य के खिलाफ नहीं हैं, परंतु वन तथा वन प्राणियों का संरक्षण आवश्यक है। एनटीसीए ने भी वन प्राणियों के संरक्षण के लिए हाईवे के निर्माण के दौरान वन प्राणियों के आवागमन के लिए अंडर तथा ओवर मार्ग बनाने तथा पुलिया सहित अन्य दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जिससे वन प्राणियों के जन-जीवन पर अधिक असर नहीं पड़े। याचिका में केन्द्र सरकार के एनवायरमेंट एवं फॉरेस्टस क्लाइमेट चेंज डिपार्टमेंट के सचिव, नेशनल टाइगर कंजरवेटर अथॉरिटी, नेशनल बोर्ड आफ वाइल्ड लाइफ के चेयरमैन, एनएचएआई, मप्र शासन के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी फॉरेस्ट व पीसीसीएफ को पक्षकार बनाया गया है।
मामले की पूर्व सुनवाई के दौरान एनएचएआई की ओर से पेश किए गए जवाब में बताया गया कि अन्य संबंधित विभाग की एनओसी प्राप्त कर ली गई है। एनटीसीए से अनुमति के लिए प्रयास जारी हैं। नेशनल हाई-वे के निर्माण में इस बात का विशेष ध्यान रखा जा रहा है कि वन जीवों का जीवन किसी तरह से प्रभावित न हो। जिस पर न्यायालय ने निर्माण पर रोक लगा दी थी। मामले में मंगलवार को आगे हुई सुनवाई पर एनएचएआई की ओर से पेश किए गए आवेदन का निराकरण करते हुए न्यायालय ने उक्त निर्देश दिए, हालांकि विस्तृत आदेश की फिलहाल प्रतीक्षा है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह व तान्या तिवारी ने पक्ष रखा।
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