मध्यप्रदेश के एकमात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी में नागदेवता के कई चमत्कारी धाम मौजूद हैं। जो कि साल भर में केवल 10 दिन के लिए ही दर्शनार्थियों के लिए खुलते हैं, बाकी के दिनों में यहां प्रशासन द्वारा प्रवेश की अनुमति नहीं होती। इस स्थान को एमपी का अमरनाथ भी कहा जाता है, क्योंकि यहां तक सफर करना उतना ही मुश्किल है, जितना बाबा अमरनाथ की गुफा तक। नागद्वारी में कई प्राचीन गुफाएं मौजूद हैं। जहां भगवान शिव और नागदेव के मंदिर हैं। यहां तक आने के लिए लोगों को जंगल के दुर्गम और पहाड़ी रास्तों से करीब 12 से 13 किमी का सफर करते हुए पहुंचना होता। नागपंचमी के 9 दिन पहले ये मार्ग खुलता है और नागपंचमी के अगले ही दिन बंद हो जाता है। इन 10 दिनों में यहां मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, हर साल हादसों में कई लोगों की जान भी चली जाती है।
कालसर्प दोष से मिलती है मुक्ति
करीब 100 साल से लंबे समय से लोग सावन के महीने में नागद्वारी गुफा की यात्रा पर पहुंचते हैं। यहां चौरागढ़ महादेव, स्वर्गद्वार गुफा, चिंतामणि गुफा मौजूद है। कहा जाता है कि स्वर्ग द्वार गुफा करीब 35 किमी लंबी है। यात्रा का सबसे पहला पढ़ाव पद्मशेष मंदिर है। यहां नागदेवता के दर्शन होते हैं। वहीं नागद्वारी के अंदर चिंतामणि गुफा है, जिसके अंदर नागदेवता की कई प्रतिमाएं हैं। कहा जाता है जो लोग पहाड़ियों पर सर्पाकार पगडंडियों से नागद्वारी की कठिन यात्रा पूरी करते हैं उन्हें कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। नागद्वारी में गोविंदगिरी पहाड़ी पर स्थित मुख्य गुफा में शिवलिंग में काजल लगाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है कि निसंतान दंपतियों को यहां संतान प्राप्ति का आशीष भी मिलता है।
प्रशासन कराता है मेले का आयोजन
हर साल नागपंचमी के अवसर पर लगने वाले 10 दिवसीय मेले का आयोजन प्रशासन की तरफ से कराया जाता है। प्रशासन यहां पेय जल से लेकर लोगों की सुरक्षा की पूरी व्यवस्था करता है। बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की जाती है। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु नागद्वारी पहुंचते हैं।
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