
जबलपुर में चंडाल भाटा क्षेत्र में न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में सोमवार दोपहर को आग लग गई।
– फोटो : सोशल मीडिया
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जबलपुर के न्यू लाइफ हॉस्पिटल में हुए अग्निकांड में प्रशासनिक लापरवाही सामने आई है। अस्पताल बिना फायर सेफ्टी प्रोटोकॉल के चल रहा था। फायर NOC भी चार महीने पहले एक्स्पायर हो चुकी थी। पिछले साल नवंबर में हमीदिया अस्पताल में जब अग्निकांड हुआ था तो सरकार हरकत में आई थी। पूरे राज्य में अस्पतालों में फायर सेफ्टी के प्रावधानों की जांच करने के निर्देश दिए गए थे। समय गुजरने के साथ ही वह निर्देश भी ठंडे बस्ते में चले गए।
न्यू लाइफ अस्पताल की प्रोविजनल एनओसी मार्च 2022 में समाप्त हो गई। सवाल अस्पताल को प्रोविजनल एनओसी जारी करने पर भी उठ रहे है। दरअसल, अस्पताल में एक ही गेट है, जहां से आना-जाना होता है। आपात स्थिति पर बाहर निकलने के लिए कोई दूसरा गेट ही नहीं है। जबलपुर नगर निगम और सीएमएचओ पर सवाल खड़े हो रहे है कि प्रोविजनल एनओसी अस्पताल को जारी कैसे की गई। दूसरा, इसके समाप्त होने के बाद भी अस्पताल संचालित कैसे हो रहा था? नवंबर 2021 में हमीदिया अस्पताल में आगजनी की घटना के बाद प्रदेश के सभी अस्पतालों का 30 नवंबर तक फायर ऑडिट के निर्देश दिए थे। हद तो यह है कि दो महीने पहले नगरीय प्रशासन विभाग ने सभी नगर निगम और नगर पालिकाओं को फायर सेफ्टी ऑडिट का रिमाइंडर भेजा था, पर उसे लेकर भी किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई। रिमांइडर जारी कर जिम्मेदारों ने भी खानापूर्ति कर दी।
आग बुझाने के उपकरण नहीं थे
प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि अस्पताल में आग बुझाने के उपकरण भी नहीं थे। प्रोविजनल एनओसी में यह उपकरण अस्पताल में होने चाहिए थे। इससे साफ है कि अस्पताल को बिना निरीक्षण के ही कागजों पर प्रोविजनल एनओसी जारी की गई। जबलपुर में 100 से ज्यादा निजी अस्पताल और नर्सिंग अस्पताल संचालित है। इसमें से एक दर्जन से ज्यादा के पास फायर एनओसी ही नहीं है। जबलपुर के न्यू लाइफ अस्पताल में सोमवार को आग लगने से आठ लोगों की मौत हो गई। आग लगने का कारण अस्पताल के बाहर रखे जनरेटर में स्पार्किंग होना बताया जा रहा है। सरकार ने संभागायुक्त की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी गठित की है।
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जबलपुर के न्यू लाइफ हॉस्पिटल में हुए अग्निकांड में प्रशासनिक लापरवाही सामने आई है। अस्पताल बिना फायर सेफ्टी प्रोटोकॉल के चल रहा था। फायर NOC भी चार महीने पहले एक्स्पायर हो चुकी थी। पिछले साल नवंबर में हमीदिया अस्पताल में जब अग्निकांड हुआ था तो सरकार हरकत में आई थी। पूरे राज्य में अस्पतालों में फायर सेफ्टी के प्रावधानों की जांच करने के निर्देश दिए गए थे। समय गुजरने के साथ ही वह निर्देश भी ठंडे बस्ते में चले गए।
न्यू लाइफ अस्पताल की प्रोविजनल एनओसी मार्च 2022 में समाप्त हो गई। सवाल अस्पताल को प्रोविजनल एनओसी जारी करने पर भी उठ रहे है। दरअसल, अस्पताल में एक ही गेट है, जहां से आना-जाना होता है। आपात स्थिति पर बाहर निकलने के लिए कोई दूसरा गेट ही नहीं है। जबलपुर नगर निगम और सीएमएचओ पर सवाल खड़े हो रहे है कि प्रोविजनल एनओसी अस्पताल को जारी कैसे की गई। दूसरा, इसके समाप्त होने के बाद भी अस्पताल संचालित कैसे हो रहा था? नवंबर 2021 में हमीदिया अस्पताल में आगजनी की घटना के बाद प्रदेश के सभी अस्पतालों का 30 नवंबर तक फायर ऑडिट के निर्देश दिए थे। हद तो यह है कि दो महीने पहले नगरीय प्रशासन विभाग ने सभी नगर निगम और नगर पालिकाओं को फायर सेफ्टी ऑडिट का रिमाइंडर भेजा था, पर उसे लेकर भी किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई। रिमांइडर जारी कर जिम्मेदारों ने भी खानापूर्ति कर दी।
आग बुझाने के उपकरण नहीं थे
प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि अस्पताल में आग बुझाने के उपकरण भी नहीं थे। प्रोविजनल एनओसी में यह उपकरण अस्पताल में होने चाहिए थे। इससे साफ है कि अस्पताल को बिना निरीक्षण के ही कागजों पर प्रोविजनल एनओसी जारी की गई। जबलपुर में 100 से ज्यादा निजी अस्पताल और नर्सिंग अस्पताल संचालित है। इसमें से एक दर्जन से ज्यादा के पास फायर एनओसी ही नहीं है। जबलपुर के न्यू लाइफ अस्पताल में सोमवार को आग लगने से आठ लोगों की मौत हो गई। आग लगने का कारण अस्पताल के बाहर रखे जनरेटर में स्पार्किंग होना बताया जा रहा है। सरकार ने संभागायुक्त की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी गठित की है।
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