30 मई सोमवार का दिन धार्मिक दृष्टि से विशेष है. पंचांग के अनुसार इस दिन ज्येष्ठ अमावस्या है. इस दिन ऐसा संयोग बना है कि शनि जयंती (Shani Jayanti), वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) और सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) एक साथ हैं. इस दिन आप एक व्रत रख करके शनि देव की कृपा, अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद और पुण्य फल भी प्राप्त कर सकते हैं. यह दिन सुख, सौभाग्य के साथ ही शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और ग्रह दोष से राहत भी प्रदान करने वाला है. पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि एक ही दिन ऐसे तीन बड़े व्रत या पूजा पाठ के अवसर कम मिलते हैं. 30 साल बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बना है कि ज्येष्ठ अमावस्या पर सोमवती अमावस्या, शनि जयंती और वट सावित्री व्रत एक साथ पड़े हैं. आप इस दिन तीनों व्रतों का महापुण्य अर्जित कर सकते हैं. आइए जानते हैं वट सावित्री व्रत, शनि जयंती और सोमवती अमावस्या के संयोग के बारे में.
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 2022
वट सावित्री व्रत, शनि जयंती और सोमवती अमावस्या ज्येष्ठ अमावस्या तिथि को है. ऐसे में आपको ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि को जानना जरूरी है. ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 29 मई रविवार को दोपहर 02:54 बजे से लेकर 30 मई सोमवार को शाम 04:59 बजे तक है. ज्येष्ठ अमावस्या की उदयातिथि 30 मई को है. इस आधार पर 30 मई को वट सावित्री व्रत, शनि जयंती और सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी.
वट सावित्री व्रत 2022
अखंड सौभाग्य, सुखी वैवाहि जीवन और पुत्रों की प्राप्ति के लिए वट सावित्री व्रत रखा जाएगा. सावित्री ने सत्यवान के प्राण ज्येष्ठ अमावस्या को बचाए थे, इसलिए हर वर्ष इस तिथि को वट सावित्री व्रत रखते हैं. इस वर्ष आप वट सावित्री व्रत की पूजा सर्वार्थ सिद्धि योग में सुबह 07:12 बजे के बाद से कर सकती हैं.
शनि जयंती 2022
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि को कर्मफलदाता शनि देव का जन्म हुआ था. उनकी माता छाया और पिता सूर्य देव हैं. 30 मई को शनि जयंती के अवसर पर आप शनि देव की पूजा करके साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष से राहत पा सकते हैं. इस दिन सुकर्मा योग प्रात:काल से ही प्रारंभ हो जा रहा है. आप चाहें तो शनि जयंती की पूजा सुबह सूर्योदय के बाद से ही कर सकते हैं. हालांकि सर्वार्थ सिद्धि योग में किया गया पूजा पाठ फलदायी माना जाता है.
सोमवती अमावस्या 2022
सोमवती अमावस्या के दिन आप सुबह ही पवित्र नदी में स्नान कर लें या फिर घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें. उसके बाद सूर्य देव को जल दें. इसके पश्चात पितरों के लिए तर्पण करें. फिर किसी ब्राह्मण को अन्न, वस्त्र, जल, फल, सब्जी आदि दान करें. सोमवती अमावस्या पर स्नान दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. पितर भी प्रसन्न रहते हैं.
इस दिन सोमवती अमावस्या का व्रत रखने और भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है. इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं.
30 मई का पूजा पाठ
इस दिन प्रात: स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें. फिर पितरों को तृप्त करें. उसके बाद दान पुण्य करें. उसके पश्चात सोमवती अमावस्या पर शिव जी और माता पार्वती की पूजा करें. फिर शनि देव की विधिपूर्वक पूजा करें. सुहागन महिलाएं शुभ मुहूर्त में वट वृक्ष, सावित्री और सत्यवान की पूजा करें और वट सावित्री व्रत की कथा सुनें.
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