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खरगोन4 घंटे पहलेकॉपी लिंकमलेशिया के वोकेशनल यूनिवर्सिटी में मोहन पाटीदार का किया सम्मान।महेश्वर तहसील के ईटावदी गांव के किसान मोहन पाटीदार निमाड़ में दक्षिण अमेरिका की किनोवा और अरब देशों की अकरकरा की फसल उगा रहे हैं। यहां वे सफेद मूसली के देशी बीज को प्रिजर्व कर के अपने पास रख रहें हैं। यह फसल अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 50 हजार से 1 लाख रुपए क्विंटल तक बिकती हैं। अकरकरा औषधीय फसल है जबकि किनोवा एक प्रोटीन फूड है।20 साल से वह इस औषधीय फसल को उगा रहे हैं। इस वजह से उन्हें क्षेत्र में मेडिकल फॉर्मर के नाम से जानते हैं। पाटीदार ने 1999 में स्नातक की। भोपाल में सेडमैप से प्रशिक्षण और 1 लाख रुपए बैंक लोन लेकर औषधीय मूसली की फसल लगाई। उसके बाद हर साल सफेद मूसली के अलावा अश्वगंधा, अदरक, तुलसी व किनोवा व अकरकरा की फसलें कर रहे हैं।अकरकरा औषधीय जबकि किनोवा में अच्छा प्रोटीनकिनोवा फसल के दाने को दक्षिण अमेरिका में नाश्ते में लेते हैं।अकरकरा अरब मूल की फसल है। यह 6-8 माह में तैयार होती है। मोहन पाटीदार ने अकरकरा के फसल को 1 एकड़ में लगाई है। यह 20-25 डिग्री में अंकुरण होता है जबकि 35 डिग्री तक तापमान जरूरी है। अकरकरा सिरदर्द, सर्दी खांसी, दांत दर्द कम करने में, मुंह में बदबू को दूर करने, गला साफ रखने, सांस संबंधी बीमारियों की दवाई बनती है। आयुर्वेद में अकरकरा के फूल, पंचागण और जड़ औषधी में काम आती है।किनोवा दक्षिणी अमेरिकी फसल में प्रचुर प्रोटीन और शरीर के अन्य पोषक तत्व है। इसे विदेश में सुबह नाश्ते में लेते हैं। यह वजन कम करने और मधुमेह नियंत्रण में उपयोगी है। वजन घटाने में सुपर फूड भी है। स्वस्थ हृदय, एनिमिया, पाचन हड्डियों के लिए कारगर है।सफेद मूसली की जैविक खेती पर मलेशिया में सम्मानमोहन पाटीदार 20 साल से जैविक मूसली का बीज भी सहेज रहे हैं। वे बीजों को जमीन में कोल्ड स्टोरेज की तरह रखते हैं। जैसे ही किसानों के ऑर्डर मिलते हैं निकालकर बेच देते हैं। इसे लेकर मोहन पाटीदार को वर्ष 2018 में मलेशिया की कॉमनवेल्थ वोकेशनल यूनिवर्सिटी ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।खबरें और भी हैं…
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