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Hindi NewsLocalMpUjjainAfter Cleaning The Dirty Water Of The Mine, It Will Be Given For Irrigation In The Fields, CM Formed A Committee Of Four Ministersउज्जैन17 मिनट पहलेकॉपी लिंकखान नदी के गंदे पानी को साफ कर खेतों में सिंचाई के लिए देंगे। ताकि यह पानी कहीं भी शिप्रा में नहीं मिले। इससे उन किसानों को फायदा होगा जहां सिंचाई के लिए पानी की कमी है। मुख्यमंत्री ने इसके लिए चार मंत्रियों की समिति बनाई है जो दो दिन बाद उन स्थानों का दौरा करेगी, जहां ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा सकते हैं। खान के पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने का स्थायी समाधान राज्य शासन करने जा रहा है। इसके लिए दो स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।सांसद अनिल फिरोजिया केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय से इसके लिए गंगा बेसिन प्रोजेक्ट में धनराशि दिलाने के लिए प्रयासरत हैं तो दूसरी तरफ उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव और विधायक पारस जैन राज्य शासन से इसके लिए पुख्ता व्यवस्था करने में जुटे हैं। फिरोजिया का दावा है कि उनकी केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से बात हो गई है। वे शिप्रा के लिए धनराशि देने को तैयार हैं। डॉ यादव का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने मंत्री तुलसी सिलावट, जगदीश देवड़ा, भूपेंद्रसिंह व डॉ यादव की चार सदस्यीय कमेटी बनाई है जो इसका स्थायी निदान करेगी।डॉ यादव के अनुसार खान के पानी को शिप्रा में आने से रोकने का एकमात्र स्थायी निदान यह है कि उस पानी को ऐसे स्थानों पर रोक कर ट्रीटमेंट कर खेतों में सिंचाई के लिए दिया जाए जहां अभी सिंचाई की समस्या है। मंत्रियों की यह समिति 30 या 31 दिसंबर को उन स्थानों का दौरा करेगी, जहां ट्रीटमेंट प्लांट लगा कर पानी को साफ कर खेतों में दिया जा सकता है।ऐसे स्थानों पर एसटीपी लगाए जाएंगे जहां खेतों में सिंचाई के लिए पानी की कमी है। जहां अभी नर्मदा का पानी भी सिंचाई के लिए नहीं पहुंच पाया है। जल्द ही इस पर काम शुरू हो जाएगा। आगामी 25 साल को ध्यान में रख कर नई योजना बनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति का स्नान साफ पानी में हो इसके लिए मिट्टी के डेम बनाने का काम शुरू हो गया है।जनप्रतिनिधियों ने माना खान डायवर्सन लाइन फेलमंत्री डॉ यादव, सांसद फिरोजिया और विधायक जैन ने स्वीकार किया कि सिंहस्थ 2016 में डाली गई खान डायवर्सन पाइप लाइन फेल हो गई है। यह योजना केवल सिंहस्थ में ही कारगर रही। हालांकि पाइप लाइन की जगह ओपन नहर का प्रस्ताव था लेकिन रेलवे लाइनों के कारण पाइप लाइन का फैसला लेना पड़ा था। पांच साल में इंदौर से आने वाले पानी की आवक इतनी बढ़ गई है कि अब यह योजना काम की नहीं है। उन्होंने इस योजना की लोकायुक्त आदि से जांच को लेकर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि अब इसके स्थायी हल के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इस पर जल्दी काम शुरू हो जाएगा।खबरें और भी हैं…
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