
गजेन्द्र राजपूत अनोखा तीर नर्मदापुरम। हिंदू नववर्ष के साथ प्रारंभ होने वाली चैत्र नवरात्रि इस वर्ष 30 मार्च रविवार से रेवती नक्षत्र और एंद्र योग में प्रारंभ होगी। हर साल चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है। वहीं, पांच अप्रैल को महाअष्टमी, छह अप्रैल को महानवमी में पाठ का समापन, हवन और कन्या पूजन होगा। सात अप्रैल को देवी विशर्जन कि जाएगी। पंडित पी एन बिल्लोरे ने बताया कि इस वर्ष रविवार को नवरात्रि प्रारंभ हो रही हैं। इस बार मां दुर्गा हाथी पर विराजमान होकर आ रहीं हैं, जो समृद्धि और शांति का प्रतीक मानी जाती है। चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा और व्रत किए जाते हैं। नवरात्रि महापर्व 30 मार्च रविवार से रेवती नक्षत्र और एंद्र योग में शुभारंभ होगा। कलश स्थापना और ध्वजारोहण के साथ हिंदू नववर्ष उत्सव की शुरुआत होगी। हिंदी पंचांग के अनुसार, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 9 से दोपहर 12 बजे 2 से तीन बजे और शाम 6 बजे से रात 9 बजे तक है।पूजन सामग्री: कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, पूजा की सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और शृंगार पिटारी लगती हैं।
श्री बिल्लोरे ने बताया की पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग में शैलपुत्री देवी की पूजा, के साथ तिलक, व्रत और विद्या प्राप्ति के लिए अनुष्ठान किए जाएंगे। चैत्र नवरात्रि का समापन 6 अप्रैल को महानवमी के साथ होगा , 7 अप्रैल को विजयादशमी मनाई जाएगी। महाअष्टमी व्रत 5 अप्रैल, महानवमी 6 अप्रैल और विजयादशमी 7 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस वर्ष रविवार को नवरात्रि प्रारंभ होने के कारण मां दुर्गा हाथी पर विराजमान होकर आएंगी, जिससे यह वर्ष शुभ फलदायी होगा ।
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