नहरों की सफाई का दावा बेमानी

आधी- अधूरी हुई सफाई, कार्य भी हुआ बंद-टेल क्षेत्र तक पानी पहुंचने में होगी बाधा

गुड़दिया माइनर के गांव गोगिया पुलिया की एक ओर की गई सफाई, दूसरी ओर सफाई से पहले ही किया कार्य बंद आगे पानी पहुंचना संभव नहीं।

अनोखा तीर, हरदा। क्षेत्र में रबी फसल के लिए डेम से नहरों में पानी छोड़ दिया गया है। इससे पहले नहरों की सफाई की जानी थी, लेकिन इस ओर किसी जिम्मेदार का ध्यान नहीं गया। आनन-फानन में जेसीबी से नहरों की सफाई का कार्य शुरू किया गया। साथ ही पूर्ण रूप से नहरों की सफाई करने का दावा प्रशासन द्वारा किया जा रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर देखा जाए तो गुडदिया माइनर के गोगिया, घोडाकुंड, बिचकुडी की नहर पर यह दावा मात्र बेमानी नजर आता है। विभाग द्वारा नेहरों की सफाई के लिए जेसीबी से खुदाई कराई गई, लेकिन उसका मौका मुआयना नहीं होने से आधी-अधूरी नहरों की नाम मात्र सफाई कर जेसीबी ने कार्य बंद कर दिया। सूत्रों की माने तो जेसीबी से घंटों के हिसाब से कार्य कराया गया। जिसका भुगतान भी इसी हिसाब से किया जाएगा। मगर सवाल यह है कि क्या पूर्ण रूप से टेल क्षेत्र तक की सफाई नहीं होनी चाहिए थी। क्या विभाग नहरों की सफाई के नाम पर दिखावा कर किसानों के साथ धोखा नहीं कर रहा है। विभाग की लापरवाही साफ देखी जा सकती है। नहर विभाग द्वारा ठीक से कार्य न कराकर शासन को अंधेरे में रखा जा रहा है। जिसका खामीयाजा छोटे और गरीब किसान जिनकी जमीन टेल पर है उनको भुगतना पड़ेगा। विभाग की लापरवाही के कारण ऐसे किसानों को समय से सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलेगा। टेल क्षेत्र के किसानों का कहना है कि विभाग द्वारा नहरों की जो सफाई कराई गई वह आधी-अधूरी है। अभी भी कई किलो मीटर तक नहरों की सफाई नहीं हुई और सफाई कार्य बंद हो गया है। साथ ही कुछ प्रभाव शील लोगों ने अपने खेत के मुहाने पर जेसीबी से कार्य करा लिया जबकि सफाई कार्य नियम अनुसार टेल क्षेत्र तक होना चाहिए थी। इस विषय में एसडीओ यशवंत सिंह सोलंकी से चर्चा करने के लिए तीन बार फोन किया गया, किन्तु उनके द्वारा फोन नहीं उठाया गया। खबर लिखे जाने तक उनकी कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई। इससे यह साबित होता है कि नहर विभाग के जिम्मेदार अपने कार्य के प्रति कितने सजग है।क्या गुड़दिया माइनर के गोगिया-घोडाकुंड क्षेत्र के किसान खेती करना छोड़ देंगुडदिया माइनर के गोगिया गांव पुलिया के बाद नहर की सफाई नहीं की गई। आधी-अधूरी हुई नहरों की सफाई से टेल क्षेत्र के किसान परेशान होकर कहने लगे है कि क्या टेल क्षेत्र के किसान अपनी खेती करना छोड़ दे। उपर स्थित किसानों को तो नहर से दो फसल का पानी मिलता है, लेकिन टेल क्षेत्र के किसानों को एक फसल तक का पानी मिलना मुश्किल हो गया है। रसुकदार और प्रभावशील लोग नहरों में हेडंप बना लेते है यहां तक की पंक्की सीमेंट की दिवार तक बना दी जाती है। जिसका विरोध करने पर विवाद करने को उतारू हो जाते है। ऐसे में टेल क्षेत्र के किसान आखरी करे तो क्या करे। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए और ऐसे क्षेत्र जहां नहरों पर विवाद की स्थिति बनती है चिन्हित किया जाना चाहिए। जिससे की सभी किसानों को पर्याप्त पानी सिचांई के लिए मिल सके। साथ ही इसकी लगातार मोनिटरिंग की जानी चाहिए। ताकि नहर के पानी का दुरूपयोग नालों और खाल में बहा कर ना किया जा सके। गुडदिया माइनर की सन्यासा से गोगिया, घोड़ाकुंड, गांगियाखेडी, बिचकुडी तक पानी पहुंचाने वाली इस माइनर की पूर्ण सफाई नहीं होने से टेल क्षेत्र में किसानों को पानी नहीं मिल पाएगा।

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