महाबली हनुमानजी के थे 5 भाई, क्‍या हैं उनके नाम, किस पुराण में है उनके परिवार का वर्णन?


हनुमानजी जन्‍म के विषय में व उनके माता

-पिता के बारे में वाल्‍मीकि रामायण में पूरा उल्‍लेख है. वहीं, ‘ब्रह्मांडपुराण’ में हनुमानजी के भाइयों के बारे में बताया गया है. हनुमान के 5 भाई थे.

हनुमान इनमें सबसे बड़े और अविवाहित हैं. जबकि उनके पांचों भाई विवाहित थे.


ब्रह्मांडपुराण के अनुसार हनुमान जी के 5 भाई थे, जो विवाहित थे और सभी संतान से युक्त थे.
ब्रह्मांडपुराण के अनुसार हनुमान जी के 5 भाई थे, जो विवाहित थे और सभी संतान से युक्त थे.
महावीर हनुमान अजर-अमर बताए गए हैं. पुराणों में उनके ब्रह्मचारी होने का उल्‍लेख है, वह अविवाहित हैं. क्‍या आप हनुमानजी के परिवार के बारे में जानते हैं? उनके कितने भाई हैं, उनके भाइयों के नाम क्‍या हैं..आदि बातें. आप शायद नहीं जानते होंगे. इसलिए आज यहां जानिए. वाल्‍मीकि रामायण में हनुमानजी जन्‍म के विषय में व उनके माता-पिता के बारे में पूरा उल्‍लेख है. वहीं हनुमानजी के भाइयों के बारे में ‘ब्रह्मांडपुराण’ में बताया गया है.

हनुमानजी के पिता केसरी सुमेरू पर्वत पर रहते थे. हनुमानजी की मां अंजना थीं, जिनके गर्भ से वह वायुदेवता की कृपा से पैदा हुए थे. श्रीरामानंद सागर कृत धारावाहिक ‘रामायण’ में भी आपने देखा होगा कि जब वानरराज सुग्रीव और श्रीराम की मित्रता होती है और उसके बाद समस्‍त वानरसेना रावण के खिलाफ लंका की ओर कूच करती है तो हनुमानजी के पिता केसरी कहते हैं कि मैं अपने सभी पुत्रों को भगवान श्रीराम की सेवा में लगाता हूं और स्‍वयं भी उपस्थित रहूंगा. इससे तात्पर्य है कि हनुमानजी के अलावा उनके भाइयों ने भी लंका के युद्ध में भाग लिया था.

हनुमानजी के भाई और उनके नाम
ब्रह्मांडपुराण के अनुसार, हनुमान के 5 भाई थे, जिनके नाम हैं- मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान और धृतिमान. हनुमानजी के ये पांचों भाई विवाहित थे और सभी संतान से युक्त थे. हनुमानजी इन सबमें बड़े थे. हनुमानजी को रुद्रावतार भी कहा जाता है, लोक-मान्‍यताएं हैं कि वह भगवान शिव का ही एक रूप हैं.

जब भगवान ब्रह्मा ने देवतागणों से कहा था, ‘वे पृथ्वी पर ऐसी संतानें प्रकट करें, जो श्रीराम अवतार के लिए रावण से युद्ध करने में सहायक हों’, जिसके उपरांत देवराज इंद्र के अंश से बालि, सूर्य के अंश से सुग्रीव और वायु के अंश से हनुमान जन्‍मे. ‘ब्रह्मांडपुराण’ में लिखा है कि वानराज केसरी ने कुंजर की पुत्री अंजना से विवाह किया था. उन्‍होंने ही हनुमान को जन्‍मा था.

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