दो एसडीओ और पांच सब इंजीनियर के भरोसे चार सब डिवीजन

3008 से लेकर रेवापुर, सोनतलाई तथा माचक नहर से खिरकिया तक पानी पंहुचाने की है जिम्मेदारी

अनोखा तीर, मसनगांव। जल संसाधन विभाग में दो एसडीओ और पांच सब इंजीनियर एवं एक कार्यपालन यंत्री पर चार सब डिविजनो की जिम्मेदारी बनी हुई है। क्षेत्र में एलबीसी शाखा के माध्यम से चैन क्र. 3008 से लेकर टेल क्षेत्र के सबडिवीजन रेवापुर एवं सोनतलाई तथा माचक नहर से खिरकिया तक पानी पहुंचता है जिसके लिए पहले एक सब डिविजन में १ एसडीओ, ३ सब इंजीनियर हुआ करते थे, लेकिन पिछले कुछ बरसों के दौरान धीरे-धीरे अधिकारियों एवं कर्मचारियों के रिटायरमेंट होने के पश्चात कमी होती चली गई, जिससे दो सब डिविजनो में एसडीओ के पद रिक्त पड़े हुए हैं। केबल चार सब डिजाइन में मात्र दो एसडीओ मौसम पोर्ते और सुधीर निशोद की नियुक्त हैं, जिसमें मौसम पौर्ते के पास समरधा और रेवापुर सब डिवीजन का प्रभार है। वहीं सब इंजीनियर रोहन विलियम्स के पास सोनतलाई सब डिवीजन का प्रभार है। कार्यपालन यंत्री डीके सिंह के द्वारा एलबीसी के सभी सब डिविजन की जिम्मेदारी बनी हुई है। वहीं सोनतलाई सब डिविजन में एई विकास तिवारी को नियुक्त किया गया है, पर उनको मेडिकल इश्यू होने से आफिस में काम सौंपा गया है।टाईम कीपर के पद रिक्तजल संसाधन विभाग में सबसे निचली कड़ी के रूप में टाइम कीपर की नियुक्ति की जाती थी, जो अपने संस्था में आखिरी छोर तक पानी पहुंचाने की जिम्मेदारी निभाते थे, परंतु अधिकांश टाइम कीपर रिटायरमेंट हो चुके हैं, जिसके पश्चात विभाग द्वारा नई भर्ती नहीं की गई है। जिससे सभी सब डिवीजन में टाइम कीपर के पद रिक्त पड़े हुए हैं। पानी वितरण के समय ग्राम के ही व्यक्ति को दैनिक वेतन के हिसाब से रख कर काम चलाया जाता है, जिसको संस्थाओं के द्वारा मजदूरी दी जाती है।जिम्मेदारों की कमी से गड़बड़ा जाती है वितरण व्यवस्थाजल संसाधन विभाग में जिम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों की कमी के कारण पूरी वितरण व्यवस्था गड़बड़ा जाती है। विगत पिछले चार वर्षों के दौरान किसानों को पानी के लिए खासी मशक्कत करना पड़ रही है। रात भर जागने के बावजूद टेल क्षेत्र में पानी नहीं पहुंच पाता, जिससे किसानों को फसलों के पैदा करने में ही पसीना छूट जाता है। अधिकांश किसान नहर की बजाए नदियों से पाइपलाइन दबाकर अपना काम चलाने को मजबूर हो रहे हैं। यदि विभाग में अधिकारियों की पूर्ति नहीं की जाती है तो आने वाले समय में किसानो को नहरों में पानी मिलना मुश्किल हो सकता है।विगत पांच वर्षो से नहीं हुए संथा के चुनाव जल उपभोक्ता संस्था में विगत पांच वर्षों से चुनाव न होने के कारण जल वितरण की पूरी जिम्मेदारी अधिकारियों के ऊपर बनी हुई है, जहां पहले से ही कर्मचारियों एवं अधिकारियों की कमी होने से विभाग में खींचतान बनी रहती है। ऐसे में एक अधिकारी के पास दो सब डिवीजन का प्रभाव बना हुआ रहता है, जो दिन-रात मेहनत कर खेतों में पानी पहुंचाने की जिम्मेदारी निभाते हैं। संस्थाओं के चुनाव ना होने से जल वितरण व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी अधिकारियों के ऊपर रहती है। चुनाव के बाद अध्यक्ष तथा सचिव जहां नहर की साफ-सफाई से लेकर पानी वितरण तक की पूरी जिम्मेदारी संभालते हैं। जल संसाधन विभाग के द्वारा नहर की सफाई मनरेगा के तहत ग्राम पंचायतों को देने के बाद से मजदूरों से काम कराकर सफाई का कार्य कराया जाता है, लेकिन मनरेगा में मजदूरी 204 रुपए प्रतिदिन होने से अधिकांश मजदूर मनरेगा में जाने के बजाय किसानों के यहां पर काम करना पसंद कर रहे हैं, जिससे नहर की सफाई का काम अटका हुआ है। अधिकांश नहरों के सफाई अभी तक नहीं हो सकी है। कुछ शाखाओं में जेसीबी के माध्यम से नहर की खुदाई की गई पर नहर में होगी हुई जंगली झाड़ियां और अन्य प्रकार के पेड़ पौधे लगे होने से पानी वितरण में समस्या आ सकती है।

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