–धनतेरस पर तीन शुभ योग खरीदारी के लिए महाफलदायी, भौम प्रदोष सोने पर सुहागा
मां महालक्ष्मी का एक लाख से अधिक नोटों से होगा राजसी श्रृंगार

लोकेश जाट, हरदा। दीपोत्सव की शुरुआत 29 अक्टूबर को धनतेरस से होगी। संयोगवश इस दिन मंगलवार होने से भौम प्रदोष रहेगा, वहीं त्रिपुष्कर, ऐंद्र, वैधृति योग और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का महासंयोग रहेगा। मंगल के स्वामित्व वाली वृश्चिक में बुध व शुक्र की युति लक्ष्मीनारायण राजयोग बनाएगी। खरीदारी के लिए तो यह दिन अबूझ मुहूर्त का रहेगा। इतने शुभ योगों की स्थिति इस दिन को मंगलकारी बनाएगी। दीपावली के पूर्व धनतेरस का दिन सर्वाधिक शुभ होने से बाजारों में जमकर खरीदारी होगी। इस दिन सोने-चांदी की ज्वेलरी, तांबा-पीतल व स्टील के बर्तन और इलेक्ट्रानिक्स सामग्री खरीदना अत्यंत मंगलदायी होगा। हरदा के एक मात्र महालक्ष्मी मंदिर में भक्तों के लिए धनतेरस से दीपावली तक तीन दिनों के लिए पट खुले रहेंगे। २००७ में निर्मित महालक्ष्मी का यह मंदिर भक्तों के लिए आस्था का केन्द्र माना जाता है। धनतेरस के दिन मां महालक्ष्मी का एक लाख से अधिक नोटा से राजश्री श्रृंगार किया जाएगा। जो दीपावली तक रहेगा। एक लाख से अधिक नोटो के इस श्रृंगार में १० से लेकर ५०० रुपए तक के नोटों का उपयोग किया गया जाएगा। तीन दिनों तक प्रात: ७ बजे से पूजन अर्चन शुरू होगा और सुबह और शाम को दोनों समय विशेष आरती की जावेगी। दिपावली के रात १२ बजे महाआरती की जाएगी। महालक्ष्मी के एक मात्र मंदिर होने से यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में भक्त मां महालक्ष्मी के दर्शन करने पहुंचेगे। धनतेरह से शुरू होने वाले दीपोत्सव के इस त्यौहार पर बाजारों रोनक बढ़ने लगी है। धनतेरस के दिन बाजार में धन की बारिश होगी। इसके लिए सराफा, ऑटो मोबाइल, बर्तन बाजार, कपड़ा बाजार, इलेक्ट्रानिक की दुकाने ग्राहकों को लिए सज कर तैयार हो गई है। दुकनों को विशेष लाईटिंग से सजा हुआ देखा जा सकता है। वहीं कई दुकानों पर त्यौहार को लेकर खरीदी करने पर अलग-अलग स्कीम के द्वारा ग्राहकों को फायदा पहुंचाने की बात भी कही जा रही है। महालक्ष्मी मंदिर में स्वयं बन जाता है

शहर के एक मात्र महालक्ष्मी मंदिर से स्थापना के समय से जुड़े पंडित नंदकिशोर व्यास बताते है कि धनतेर पर एक लाख से अधिक नोटो से माता का राजश्री श्रृंगार किया जाएगा। यह श्रृगांर दीपावली तक रहेगा। साथ ही ७२ घंटों के मंदिर के पट खुले रहेंगे। जहां हजारों भक्त दर्शन करने पहुंचेगे। पंडित व्यास ने बताया कि समुद्र मंथन के समय ही मां लक्ष्मी, कामधेनू गाय, विष और अमृत जैसे अमूल्य वस्तुओं की उत्पत्ति हुई थी। उसी समय समुद्र से शंख की भी उत्पत्ति हुई। आम तौर पर शंख नदी और समुद्र में मिलता है, लेकिन यहां महालक्ष्मी के मंदिर में किड़े शंख को बना देते है। जबकि आस-पास यहां कोई नदी नहीं है। मंदिर में शंख का बनाना किसी चमत्कार से कम नहीं है।धनतेरस से हर घर में जगमगाएंगे दीपदीपावली का त्योहार धनतेरस से शुरू हो जाता है। इसी दिन से घरों में दीए लगाने का क्रम शुरू हो जाता है। शाम से ही प्रत्येक घरों में दीए जगमगाने लगेंगे। इसके लिए बाजार में सड़क किनारे पर मिट्टी के दीपों की दुकाने लग चुकी है। मिट्टी के दीपों का खास महत्व माना जाता है। शहर सहित गांवों में धनतेर से प्रत्येक शाम को दीपों के प्रकाश से अंधेरे को दूर किया जाएगा।इंद्र योग में मनेगी धनतेरसधनतेरस सूर्योदय से लेकर सुबह १०.४५ बजे तक त्रिपुष्कर योग रहेगा। इसी दिन इंद योग भी बन रहा है, जो सर्वश्रेष्ठ योगों में से एक है। मंगलवार होने से उत्तरा फाल्गुनी एवं हस्त नक्षत्र के महासंयोग भी धन त्रयोदशी के दिन बन रहा है। धन त्रयोदशी सुबह ११ बजे से३० अक्टुबर को दोपहर १२.३० बजे तक रहेगी।
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