–1983 में हुई सार्वजनिक दुर्गा मंदिर की स्थापनामाता भक्ती से प्रेरित होकर जयपुर से मंगाई गई प्रतिमा
अनोखा तीर, हरदा। कुलहरदा मोहल्ले में देवी मूर्ति की स्थापना मोहल्ले के सभी लोगों के आपसी सहयोग से की गई थी। 1983 में विद्याबाई मिश्र ने मूर्ति के लिए राशि दी। इसके बाद जयपुर से संगमरमर की मूर्ति लेकर आए। प्राण प्रतिष्ठा आयोजन के दौरान सभी की मौजूदगी में विधिवत प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई। २८ वर्षों से मंदिर में पूजन करने वाले पुजारी मुकेश तिवाड़ी ने बताया कि नवरात्रि के दौरान मंदिर में मातारानी के नो स्वरूपों में पूजा की जाती है। जिसमें पहले दिन बालिका स्वरूप में माता का पूजन किया जाता है। २०२१ में सभी लोगों के सहयोग से राशि एकत्र कर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया। पुजारी जी ने बताया कि पूर्व में यहां नीम के पेड़ के नीचे एक मढ़िया थी। यहां कच्चे ओटले पर माता की प्रतिमां प्रतिवर्ष नवरात्रि में विराजित की जाती थी। जिसके बाद माता भक्ति से प्रेरित होकर विद्या बाई मिश्र ने जयपुर से संगमरमर की मुर्ति मंगवाई। इस चौक पर यादव व लोधी समाज के लोगों समेत आसपास के सभी लोग मिलकर टीन शेड के नीचे देवी जी की मूर्ति विराजित करते थे। करीब 15 साल यह सिलसिला चलता रहा। इसके बाद एक ओटला तैयार किया। इसी दौरान सभी लोगों ने यहां स्थाई रूप से मंदिर निर्माण कराने का निर्णय लिया। जिसके बाद मंदिर निर्माण में सभी लोगों ने आस्था रखते हुए सहयोग किया। माता मंदिर में लोगों की आस्था है और मनाना है यहां से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता है। मां से जो भी मनोकामनाएं की जाती है वह पूरी होती है। शहर भर के भक्त नवरात्रि में माता दरबार में माथा टेकने आते है।