गणेश पांडे, भोपाल। नीमच जिले के जावद तहसील में भारतीय वन अधिनियम 1927 और वन संरक्षण अधिनियम 1980 के प्रावधानों को धता बताते हुए 18 हेक्टेयर वन भूमि को राजस्व भूमि बताकर फैक्ट्री के निर्माण के लिए आवंटित कर दिया। जबकि एफसीए के अंतर्गत वन भूमि को बिना भारत सरकार पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति के आवंटन नहीं किया जा सकता। कथित रूप से वन कानून का उल्लंघन करने वालों में कलेक्टर दिनेश जैन, नायब तहसीलदार सलोनी पटवा राजस्व निरीक्षक विनोद राठौर और पटवारी तुलसीराम खराडीया का नाम लिया जा रहा है। डीएफओ नीमच एसके अटोदे ने पहले तो राजस्व अधिकारियों के नियम विरुद्ध कदम की मुखालफत की किन्तु जब उन्हें पता चला कि एनवल अप्रेजल रिपोर्ट में कलेक्टर की टिप्पणी महत्वपूर्ण हो गई है तब बैक फुट पर आ गए। डीएफओ नीमच द्वारा एफसीए का स्पष्ट उलंघन पाये जाने पर भी कोई कार्यवाही नहीं की। सनद रहे कि इसी प्रकरण में कलेक्टर नीमच के गलत प्रतिवेदन पर कमिश्नर उज्जैन ने बिना जांच किये एक तरफा कार्यवाही करते हुये रेंजर को निलंबित कर दिया था किंतु बाद में जांच उपरांत अपना आदेश वापस लेते हुये रेंजर को बहाल कर दिया। वन भूमि को उद्योग को हस्तांतरित करने का मामला भी बड़ा दिलचस्प है। मप्र राजपत्र दिनांक 25 जुलाई 1985 को पारित अधिसूचना में वनखण्ड लासूर को ग्राम जनकपुर में कुल 176.932 हेक्टेयर भूमि आरक्षित वन घोषित की गई जो वन परिक्षेत्र जावद के बीट बसेडीभाटी के कक्ष क. 89 में स्थित आरक्षित वन भूमि है। राजस्व अधिकारियों ने मनमाने ढंग से 124 हेक्टेयर भूमि को ही आरक्षित वन मानकर राजस्व रिकार्ड में दर्ज की एवं शेष भूमि को राजस्य भूमि बताकर उस भूमि में से लगभग 18 हेक्टेयर भूमि औद्योगिक विभाग को हस्तांतरित कर फैक्ट्री का निर्माण करवाया जा रहा है। पहली बार राजस्व अधिकारियों ने विशेष दिलचस्पी लेते हुए हस्तांतरण कर दिया। यानी 15 दिसंबर 23 को भूमि हस्तांतरण की विज्ञप्ति जारी की गई और 16 दिसंबर 23 को वन विभाग से अभिमत प्रस्तुत करने हेतु पत्र लिखा गया। इस पर अभिमत हेतु वन विभाग एवं राजस्व विभाग द्वारा 21 दिसंबर 23 को संयुक्त पंचनामा बनाया गया। पंचनामे में वन विभाग द्वारा बताया गया कि हस्तांतरित भूमि आरक्षित वनभूमि हैं। पंचनामें पर राजस्व निरीक्षक विनोद राठौर, पटवारी तुलसीराम खराडीया एवं वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा संयुक्त हस्ताक्षर किए। लेकिन नायब तहसीलदार सलोनी पटवा ने मौके पर पंचनामे पर हस्ताक्षर नहीं किया। हालांकि वन कर्मचारियों ने पंचनामा का मोबाइल पर फोटो क्लिक कर लिया था।
संयुक्त पंचनामे में हुई छेड़छाड़
नायब तहसीलदार सलोनी पटवा ने पंचनामा लेकर आई और औद्योगिक विभाग के अधिनस्थ कम्पनी को लाभ पंहुचाने लेने के उददेश्य से पंचनामें में छेड़छाड़ कर मौके पर कोई विवाद नहीं हुआ वाक्य जोड़ दिया। पंचनामा में छेड़छाड़ करने के बाद नायब तहसीलदार सुश्री पटवा ने एसडीओ राजस्व राजकुमार हलदार से मिलकर गलत तथ्यों के साथ रिपोर्ट कलेक्टर दिनेश जैन के पास भेज दिए। नीमच कलेक्टर ने भी बिना जांच पड़ताल और वन विभाग की आपत्तियों का निराकरण किया बिना ही वन भूमि का हस्तांतरण आदेश पारित कर दिया। यानी वन अधिनियम का उल्लंघन कर फैक्ट्री को वन भूमि आवंटित करने के मामले में कलेक्टर नीमच ने राजस्व विभाग की कार्रवाई को उचित बताते हुए फैक्ट्री निर्माण कार्य को जारी रखवाया।
रेंजर पर आपराधिक प्रकरण दर्ज और किया निलंबित
वनपरिक्षेत्र अधिकारी जावद विपुल प्रभात करोरिया ने वन भूमि पर नियम विरुद्ध हो रहे फैक्ट्री निर्माण कार्य को रुकवाया और उद्योग संचालक के खिलाफ वन अपराध दर्ज किया। इस कार्रवाई से नाराज राजस्व अधिकारी ने उल्टा रेंजर के विरुद्ध पुलिस पर दबाव डालकर एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश की मामला यही नहीं शांत हुआ। कलेक्टर नीमच की रिपोर्ट पर उज्जैन संभाग आयुक्त ने रेंजर करोरिया को निलंबित कर दिया। कमिश्नर उज्जैन के निलंबन की कार्रवाई को अनुचित बताते हुए वनबल प्रमुख ने अपर मुख्य सचिव वन विभाग से रेंजर को बहाल करने की अनुसंशा की, तत्उपरांत उज्जैन संभाग आयुक्त ने निलंबन आदेश वापस लेते हुये रेंजर को बहाल कर दिया। फैक्ट्री निर्माण का मामला एनजीटी तक पहुंचा। समाजसेवी परशुराम रावत ने वन भूमि पर फैक्ट्री के अवैध निर्माण को लेकर एनजीटी न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है। रावत का कहना है कि राजस्व अधिकारियों ने पर्यावरण और वन संरक्षण के खिलाफ वन भूमि का आवंटन किया है। वनभूमि जैवविविधता एवं वन्यजीवों के रहवास के लिए अतिआवश्यक हैं वनभूमि पर फैक्ट्री बनने से वन्यप्राणी बैघर हो जाएगें। एनजीटी में सुनवाई भी शुरू हो गई है। अगले हफ्ते तक सरकार से जवाब-तलब किया है
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