अनोखा तीर, हरदा। इन दिनों जिला अस्पताल विशेषज्ञ डॉक्टरों सहित अन्य कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है। स्त्री रोग और क्षय रोग में तो एक भी विशेषज्ञ नहीं है। शिशु रोग, निश्चेतना, हड्डी रोग में आवश्यकता से कम डॉक्टर है। जिला अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ का ना होना गंभीर विषय है। ऐसे में अस्पताल पहुंच रही महिला मरीजों का उपचार कैसे किया जाता होगा। वही अस्पताल में स्टाफ नर्स की कमी है। जिसका खामियाजा मरीजों को झेलना पड़ता है। जिला अस्पताल होने के नाते यहां मरीजों की संख्या ज्यादा होती है। रोजाना करीब ४५० मरीज अस्पताल पहुंचते हैं। जिला अस्पताल का १०० बेड से २०० बेड में उन्नयन किया जा चुका है और प्रस्तावित १०० बेड की नई बिल्डिंग तैयार हो गई। लेकिन अभी तक नई बिल्डिंग हेंड ओवर नहीं की गई है। जिस कारण वर्तमान में अस्पताल में स्पेस की समस्या भी बनी रहती है। १०० बेड के अस्पताल में २०० से अधिक मरीज भर्ती रहते हैं। जिला अस्पताल में प्रथम श्रेणी के २९ पद है, जिनमें से १२ कार्यरत है और १७ पद रिक्त हंै। द्वितीय श्रेणी के १९ पद हैं, जिनमें से ७ कार्यरत है और १२ पद रिक्त हंै। स्टाफ नर्स की अगर बात करें तो १०० पद में से ७७ पद कार्यरत हंै, जबकि २३ पद नर्सों के रिक्त हैं। सभी रिक्त पदों को भरने के लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा कई बार पत्राचार किया गया, लेकिन कोई परिणाम प्राप्त नहीं हुआ।
वर्तमान में नहीं है स्त्री रोग विशेषज्ञ
जिला अस्पताल में ३ स्त्री रोग विशेषज्ञ की दरकार है, लेकिन एक विशेषज्ञ से ही काम चलाया जा रहा था। एक स्त्री रोग विशेषज्ञ थी जिनकी सेवानिवृत्ति ३१ जून २४ को हो गई। वर्तमान में एक भी स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं है और पीजीएमओ ही स्त्री रोग का कार्य देख रही है। ऐसे में जिला अस्पताल आने वाली महिला मरीजों को सही तरीके से इलाज नहीं मिल पा रहा है। प्रसव के लिए आपरेशन की नौबत आने पर प्राथमिक उपचार के बाद सीधे खंडवा, इन्दौर, भोपाल रेफर कर दिया जाता है। इससे मरीज व परिजनों को भारी परेशानी हो रही है।
सोनाग्राफी सेन्टर पर रहता है दबाव
अस्पताल में रोजाना ४५० तक मरीज पहुंचते हंै। ऐसे में सोनाग्राफी सेन्टर पर मरीजों की संख्या का दवाब बना रहता है। जिसके लिए अस्पताल प्रबंधन ने ईमरजेंसी मरीजों के लिए अलग व अन्य मरीजों के अलग व्यवस्था बनाई है। ईमरजेेेंसी वालें मरीजों की तुरंत सोनाग्राफी की जाती है जबकि अन्य मरीजों को एक निश्चित तारीख पर देकर सोनाग्राफी की जाती है। सरकार स्वास्थ्य के लिए कई तरह से योजनाएं चलाकर सुधार लाना चाहती है। सरकार का विशेष ध्यान गर्भवती महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर दिया जा रहा है। जिसके लिए करोड़ों रुपए शासन खर्च कर रहा है। लेकिन जिला चिकित्सालय की तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अगर गर्भवती महिलाओं का ही उपचार ठीक से नहीं होगा तो आगे आने वाले बच्चों को किस तरह से स्वास्थ्य लाभ मिल सकेगा।
वर्तमान में यह है अस्पताल में विशेषज्ञों की स्थिति
स्त्री रोग विशेषज्ञ- ३ पद स्वीकृत- ३ पद रिक्त
शिशु रोग विशेषज्ञ- ६ पद स्वीकृत- ३ पद रिक्त
निश्चतेना विशेषज्ञ- ४ पद स्वीकृत- २ पद रिक्त
हड्डी रोग विशेषज्ञ- ३ पद स्वीकृत- २ पद रिक्त
क्षय रोग विशेषज्ञ- १ पद स्वीकृत- १ पद रिक्त
इनका कहना है…
समय-समय पर हमारे द्वारा रिक्त पदो को भरने के लिए वरिष्ट कार्यालय को अवगत कराया जाता है। डिमांड भेजी गई है, उनके द्वारा जल्द ही रिक्त पदों की पूर्ति करने का आश्वासन दिया गया है।
डॉ.मनीष शर्मा, सिविल सर्जन
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