विधायक और मंत्री भी पहुंचे
इसके बाद दूसरे राज्यों के विधायकों और फिर मंत्रियों की टीम भी बूथों पर पहुंची। तीनों स्तर पर बूथों में दिखी कमियों को दूर कर उन्हें मजबूत बनाने की कार्ययोजना बनी। इसके अनुरूप काम हुआ, जिसका परिणाम सामने है। प्रदेश भाजपा का दावा है कि 29 हजार से अधिक बूथों पर पार्टी को 50 प्रतिशत से अधिक मत मिले हैं।
तकनीक का सहारा भी लिया
बूथों को मजबूत बनाने के लिए तकनीक का सहारा भी लिया गया। सभी बूथ का डाटा डिजिटलाइज किया गया। हर बूथ एक समिति बनाई गई। समिति के सदस्यों से कार्ययोजना पर लगातार संवाद के लिए वाट्सएप ग्रुप तैयार किया गया। समिति के सदस्यों ने सभी मतदाताओं से सतत संपर्क किया। दूसरी कार्ययोजना यह रही कि बूथों को तीन श्रेणी में बांटा गया। इनमें एक तो वे थे, जिनमें पार्टी पिछले तीन बार या अधिक समय से जीत रही थी।
बी श्रेणी में वे थे, जहां कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस जीती और सी श्रेणी में वे थे, जिनमें पार्टी कमजोर थी। बूथ स्तर से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक सभी का पूरा ध्यान बी और सी श्रेणी के बूथों पर रहा। पार्टी ने इसमें मोर्चा और प्रकोष्ठों का भी सहयोग लिया। भारतीय जनता युवा मोर्चा ने हर बूथ में नव मतदाताओं से संपर्क किया। इसी तरह, किसान मोर्चा और महिला मोर्चा ने भी अपने-अपने क्षेत्र में मतदाताओं को साधने का काम किया। जमीनी स्तर पर मजबूती के चलते ही पार्टी ने 230 सीटों में से 163 सीटें जीत ली। मत प्रतिशत भी 41.02 प्रतिशत से बढ़कर 48.55 प्रतिशत हो गया।
बूथों को सशक्त बनाने में इनकी रही बड़ी भूमिका
भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री और मप्र सहित छह राज्यों के प्रभारी शिवप्रकाश व प्रदेश के संगठन महामंत्री हितानंद ने बूथों को सशक्त करने में बड़ी भूमिका निभाई। दोनों ने पूरे प्रदेश में भ्रमण किया। कमियां देखीं और संगठन के स्तर पर बूथों को मजबूत करने की योजना बनाई। इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने भी सहयोग किया।
शिवप्रकाश ने संभाली मैदानी लड़ाई
1986 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक बने शिवप्रकाश इन दिनों भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री हैं और छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र के प्रभारी हैं। शिवप्रकाश उन नेताओं में हैं, जिन्होंने मप्र को एक नहीं, कई बार नाप दिया। मंडल ही नहीं, बूथ स्तर पर जाकर भाजपा की कमजोरियों का पता लगाया। उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है, इसकी रणनीति बनाई। इसके बाद प्रदेश स्तर पर कई बार बैठक कर कमजोरियों को दूर करने के लिए काम किया। निराश कार्यकर्ताओं की चिंता कर उन्हें सक्रिय किया।
संगठन की चुनौतियों को दूर कर हितानंद ने की व्यूह रचना
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक हितानंद ने जब भाजपा में संगठन महामंत्री की बागडोर संभाली, तब पार्टी के सामने कई तरह की चुनौतियां थीं। सबसे पहली चुनौती तो उन 32 विधानसभा क्षेत्रों में थी, जहां कांग्रेस के विधायक और नेता भाजपा में आए थे। ऐसी सीटों पर भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ उनका समन्वय बनाना बेहद मुश्किल था। हितानंद ने अपनी सांगठनिक क्षमता से उन चुनौतियों को न सिर्फ दूर किया, बल्कि सभी कार्यकर्ताओं को एकरस कर दिया। हितानंद ऐसे हाईटेक नेता हैं, जिनके मोबाइल पर सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों के चार चुनाव के परिणाम से लेकर बूथ के हर कार्यकर्ता का ब्यौरा मौजूद रहता है।